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मटर की फसल में पाउडरी मिल्डयू रोग का नियंत्रण!
सलाहकार लेखएग्रोस्टार एग्रोनोमी सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस
मटर की फसल में पाउडरी मिल्डयू रोग का नियंत्रण!
👉🏻 किसान भाइयों यह मटर की सामान्य बीमारी है। यह हवा जनित रोग है। सामान्यतः ये कवक फली बनने के समय अथवा फसल कटने के तुरन्त पहले संक्रमण करते हैं। इसका प्रकोप पत्ती के दोनों तरफ और फली तथा तने पर सफेद आटे की तरह धब्बे के रूप में होता है। ये धब्बे छोटे रंगहीन कण के रूप में पैदा होते हैं। जब रोग उग्र अवस्था में होते हैं तो पौधे के 👉🏻 ऊपरी भाग पर बड़े पैमाने में सफेद आटे की तरह कण के रूप में एकत्र हो जाते हैं। फलस्वरुप फली की संख्या और उसका वजन घट जाती है। इस रोग का प्रबंधन 👉🏻 देर से बुवाई से बचें। 👉🏻 फसल कटने के बाद फसल के मलबे को इकठा कर जला देना चाहिए। 👉🏻 रोग प्रबल क्षेत्र में जल्दी पकने वाली तथा कम दिन की प्रजातियों को उगायें। 👉🏻 बीमारियों के नियंत्रण के लिए सल्फर 80% डब्ल्यूडीजी @ 1 किग्रा/एकड़ छिड़काव करें। 👉🏻 रोग-रोधी किस्मों का प्रयोग करें। 👉🏻 फसल चक्र अपनाना चाहिए। स्रोत:- एग्रोस्टार एग्रोनोमी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, 👉🏻 प्रिय किसान भाइयों अपनाएं एग्रोस्टार का बेहतर कृषि ज्ञान और बने एक सफल किसान। यदि दी गई जानकारी आपको उपयोगी लगी, तो इसे लाइक 👍 करें एवं अपने अन्य किसान मित्रों के साथ शेयर करें धन्यवाद!
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