सलाहकार लेखएग्रोस्टार एग्रोनोमी सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस
मटर की फसल में उकठा रोग का नियंत्रण!
👉🏻 किसान भाइयों यह बीमारी फ्यूसेरियम आक्सिस्पोरियम फफूँद के द्वारा होती है। यह एक मृदा जनित फफूंद है जो पौधे के जालिका तंत्र द्वारा या पौधे के क्षतिग्रस्त भाग द्वारा जड़ के सिरे तक पहुंचती है जो पत्तियों और तने में प्रगतिशील होते हुये पौधे का कमजोर होकर गिरना (विल्टिंग), जड़ प्रणाली का पतन जैसी बीमारियां उत्पन्न करते हैं। फलस्वरूप पौधा गिर जाता है और मर जाता है। मृदा में अधिक नमी यह बीमारी का प्रकोप बढ़ जाता है।
इस रोग के नियंत्रण के लिए
👉🏻 मृदा सौरीकरण
👉🏻 बुवाई से पहले कार्बेन्डाजिम 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम की दर से बीज का उपचार करें।
👉🏻 अधिक नमी व ताप रोग के प्रकोप के लिए अनुकूलित होता है। अतः इससे बचने के लिए शीघ्र बुवाई नहीं करनी चाहिए।
👉🏻 कम से कम 2-3 साल तक अदलहनी फसलों द्वारा फसल चक्र अपनाना चाहिए।
स्रोत:- एग्रोस्टार एग्रोनोमी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस,
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