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मटर की खेती की पूरी जानकारी!
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मटर की खेती की पूरी जानकारी!
🌱मटर का उपयोग सब्ज़ी के साथ–साथ दलहन के रूप में भी किया जाता है। अगेती मटर की खेती कम समय में अच्छा मुनाफा देती है जिसके चलते इसकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। मटर एक दलहनी फसल है जिसकी खेती देश में अगेती और पिछेती किस्मों के आधार पर की जाती है। 🌱मटर की खेती के लिए दोमट और हल्की दोमट मृदा दोनों ही उपयुक्त होती है। किसान मटर की उन्नत प्रजातिओं की बुआई सितंबर के अंतिम सप्ताह से लेकर अक्टूबर के मध्य तक कर सकते हैं। मटर की इन किस्मों की सबसे खास बात यह है कि ये सभी 50 से 60 दिनों में तैयार हो जाती है। जिससे खेत जल्दी खाली हो जाता है और किसान दूसरी फसलों की बुआई इसके बाद कर सकते हैं। 🌱अगेती मटर की उन्नत किस्में कौन सी है? देश के कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा भारत की अलग–अलग जलवायु के अनुसार अलग–अलग क़िस्में विकसित की है। यह किस्में अधिक पैदावार के साथ ही रोग रोधी भी होती हैं जिससे फसल की लागत में भी कम आती है। अगेती मटर की उपयुक्त क़िस्में एग्रोस्टार मोती 10 मटर,आजाद मटर, काशी नंदिनी,आदि शामिल है। किसान अपने क्षेत्र के अनुसार उपलब्ध मटर की इन किस्मों में से किसी का चयन कर बुआई कर सकते हैं। 🌱मटर की बुआई के लिए क्या करें? बुआई के लिए प्रति हेक्टेयर 80 से लेकर 100 किलोग्राम बीज की ज़रूरत पड़ती है। मटर को बीजजनित रोगों से बचाव के लिए मैंकोजेब 3 ग्राम या थीरम 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करना चाहिए। अगेती प्रजातिओं के लिए पंक्ति से पंक्ति एवं पौधे से पौधे की दूरी 30*6-8 सेंटीमीटर पर्याप्त है। खेत की तैयारी के समय प्रति हेक्टेयर 20-25 टन सड़ी गोबर की खाद के साथ 40 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फ़ॉस्फ़ोरस, 50 किलोग्राम पोटाश का उपयोग करना चाहिए। 🌱स्त्रोत:- AgroStar किसान भाइयों ये जानकारी आपको कैसी लगी? हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं और लाइक एवं शेयर करें धन्यवाद।
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