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भूमिहीन किसानों को दिवाली पर मिला बड़ा गिफ्ट, अब खेती के लिए होगी ‘अपनी’ जमीन!
कृषि वार्ताTV9
भूमिहीन किसानों को दिवाली पर मिला बड़ा गिफ्ट, अब खेती के लिए होगी ‘अपनी’ जमीन!
👉राजस्थान सरकार ने एक बड़ा निर्णय लेते हुए भूमिहीन किसानों को दिवाली पर बड़ा तोहफा दिया है. सरकार ने अपने एक अभियान के तहत ऐसे लोगों को खेती के लिए जमीन देना शुरू किया है, जिनके पास खेत नहीं था. अब ऐसे लोगों का भी राजस्व रिकॉर्ड में नाम दर्ज होगा. ताकि ऐसे परिवारों का खेती से गुजर-बसर हो सके. सरकार ने 2363 भूमिहीन किसानों को 480 हेक्टेयर खेती योग्य जमीन आंवटित की है. ऐसा ‘प्रशासन गांवों के संग’ अभियान के तहत किया गया है. यह अभियान उन किसानों के लिए भी उम्मीद की किरण बना है जिनके पास खेती-किसानी के लिए अपनी जमीन नहीं थी! 👉स्वामीनाथन आयोग ने भूमिहीन किसानों को जमीन देने की सिफारिश की हुई है, लेकिन ताज्जुब की बात यह है कि अब तक सरकार के पास ऐसे किसानों का कोई डाटाबैंक ही नहीं है. फिलहाल, अशोक गहलोत सरकार ने इसकी शुरुआत करके दूसरे राज्यों को आईना दिखाने की कोशिश की है. भारत में जमीन के सवाल पर काम करने वालों के लिए भूमिहीन किसानों की दशा एक अहम मुद्दा है! अब सरकार की दूसरी योजनाओं का भी मिलेगा फायदा- 👉प्रदेश के राजस्व मंत्री हरीश चौधरी ने बताया कि इस अभियान के तहत भूमिहीन किसानों को कृषि भूमि आंवटन नियमों के अनुसार भूमि आंवटित की जा रही है. जमीन का मालिकाना हक मिलने से सरकार की अन्य योजनाओं का लाभ भी मिल सकेगा. डूंगरपुर जिले में सबसे ज्यादा 2206 किसानों को 411.78 हेक्टेयर जमीन आंवटित की गई है! किस जिले में कितना आवंटन- >>डूंगरपुर में 2206 किसानों को 411.78 हेक्टेयर जमीन आंवटित. >>चित्तौड़गढ़ जिले के 51 भूमिहीन किसानों को 18.86 हेक्टेयर. >>भीलवाड़ा के 49 किसानों को 24.24 हेक्टेयर. >>बांसवाड़ा के 34 किसानों को 18.65 हेक्टेयर. >>सिरोही के 13 किसानों को 1.55 हेक्टेयर. >>जैसलमेर के 6 किसानों को 4.03 हेक्टेयर. >>बारां के 2, दौसा और गंगानगर के एक-एक भूमिहीन किसान को भूमि आंवटित. सबसे ज्यादा आवंटन डूंगरपुर में >>डूंगरपुर की बिच्छीवाड़ा पंचायत समिति के 600 किसानों को 116.96 हेक्टेयर. >>आसपुर के 359 किसानों को 69.84 हेक्टेयर. >>गलियाकोट के 358 किसानों को 60.96 हेक्टेयर. >>सागवाडा के 259 किसानों को 60.18 हेक्टेयर. >>दोवड़ा के 245 किसानों को 47.27 हेक्टेयर. >>साबला के 141 किसानों को 28.65 हेक्टेयर. >>सीमलवाडा के 9 किसानों को 1.66 हेक्टेयर. >>डूंगरपुर पंचायत समिति के 235 किसानों को 26.26 हेक्टेयर भूमि आंवटित. इन किसानों की असली दिवाली- 👉डूंगरपुर के नांदली ग्राम पंचायत निवासी कारुलाल के पास भी खेती-किसानी के लिए जमीन नहीं थी. वृद्ध माता- पिता वाले 6 सदस्यीय परिवार ने जब इस बारे में स्थानीय प्रशासन को बताया तो ‘प्रशासन गांवों के संग’ अभियान के तहत 0.1618 हेक्टेयर भूमि आंवटित की गई. जिससे अब कारुलाल को सहारा मिलेगा. कारुलाल ने जमीन का सपना पूरा होने पर कहा कि लगता है जीवन में इस बार वाकई दिवाली आई है! 👉कारुलाल की तरह करीब 24 सौ किसानों की जिंदगी अब खेती से बदलने की कोशिश होगी. राजस्थान में ऐसे व्यक्ति को किसान माना गया है, जो सक्रिय रूप से फसल उगाएं तथा जिसकी आजीविका किसानी से चलती हो! भूमिहीन किसानों का दर्द- 👉केंद्र सरकार सरकार के पास भूमिहीन किसानों का कोई सटीक आंकड़ा नहीं है. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुतबिक, “भूमिहीन किसानों का कोई सर्वेक्षण नहीं किया गया है.” इसकी वजह से ऐसे किसानों के लिए कोई राष्ट्रीय नीति नहीं बन पाई है. दूसरी ओर सच यह है कि देश में लाखों भूमिहीन लोग अपनी जीविका के लिए पट्टे पर जमीन लेकर खेती करते हैं. हालांकि, जमीन का किराया देने की वजह से उनकी खेती महंगी पड़ती है! किसान आयोग ने की थी सिफारिश- 👉प्रो. एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में राष्ट्रीय किसान आयोग ने अन्य बातों के साथ-साथ यह भी सिफारिश की थी कि “जहां कहीं भी व्यवहार्य हो भूमिहीन कृषक परिवारों को प्रति परिवार न्यूनतम एक एकड़ भूमि उपलब्ध कराई जानी चाहिए. जो उन्हें घरेलू उद्यान, पशुपालन के लिए स्थान उपलब्ध कराएगी.” किसान नीति में भी दी गई है सलाह- 👉आयोग की प्रमुख सिफारिशों को वर्ष 2006 में आयोग द्वारा स्वयं प्रस्तुत ‘मसौदा राष्ट्रीय किसान नीति’ में शामिल किया गया था. इसके आधार पर सरकार ने राष्ट्रीय किसान नीति-2007 को अप्रूव्ड किया था. इसके नीतिगत प्रावधानों में अन्य बातों के साथ-साथ काश्तकारी कानूनों के विशेष संदर्भ में भूमि सुधार से संबंधित कानूनों का क्रियान्वयन सुदृढ़ बनाने के लिए परिसंपत्ति सुधार एवं जमीन को पट्टे पर देना शामिल है. दूसरे राज्यों के लिए मिसाल- 👉जमीन और उसका प्रबंधन राज्यों के वैधानिक एवं प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र में आता है. इसमें केंद्र सरकार की भूमिका परामर्श देने वाले की तरह है. ऐसे में राज्य सरकारों को विशेष अभियान चलाकर पात्र गरीबों को जमीन वितरित करने की सलाह दी गई है. लेकिन राज्य सरकारें आमतौर गरीबों के लिए ऐसे फैसले लेने से बचती हैं. इस मामले में सरकार ने बिना चुनावी सीजन के ही भूमिहीन किसानों को जमीन देकर दूसरी राज्य सरकारों पर दबाव बढ़ा दिया है! स्त्रोत:- TV9 👉प्रिय किसान भाइयों दी गई जानकारी उपयोगी लगी, तो इसे लाइक👍करें एवं अपने अन्य किसान मित्रों के साथ शेयर करें धन्यवाद!
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