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भारत से पहली बार निर्यात होगा कुवैत गाय का गोबर!
कृषि वार्ताAgrostar
भारत से पहली बार निर्यात होगा कुवैत गाय का गोबर!
👉नमस्कार किसान भाइयों आज मै आप लोगों के बीच एक रोचक जानकारी ले कर आया हूँ ,विवादित बयानों के चलते खाड़ी देशों ने भारतीय उत्पादों पर रोक की निराशाजनक खबरों के बीच जयपुर से एक अच्छी तस्वीर सामने आ रही है। गाय खाड़ी देशों को जोड़ने का अब माध्यम बन रही है। अब तक गाय का दूध, घी ही स्वास्थ्य वर्द्दक मानकर विदेशों में निर्यात हो रहा था, मगर पहली बार हिन्दुस्तान से देशी गाय का ओर्गानिक गोबर कुवैत भेजा जा रहा है। करीब 200 मेट्रिक टन गाय का गोबर कुवैत भेजने के लिए पैक हो रहे हैं। 👉बता दें कि जयपुर के पिंजरापोल गोशाला से देशी गाय के गोबर के पैकिंग का काम जोरो पर जारी है। सबसे ख़ास बात यह है की खाड़ी देशों में गाय के गोबर की डिमांड कितनी है इसका अंदाजा इसी से बात से लगाया जा सकता है की यहाँ मिलने वाले गाय के गोबर के दाम की तुलना में 40 फीसदी अधिक ट्रांसपोर्ट का दाम चुकाकर भी गाय का गोबर मंगवाया जा रहा है। 👉यह देशी गाय का गोबर है जिसको अगले कुछ दिनों में खाड़ी देशों में बेचने की तैयारियां हो रही है। आंकड़ों की बात करें तो साल 2021- 21 में भारत में पशु उत्पाद का निर्यात 27,156 करोड़ रूपये यानी 3 लाख 67 हार 24 मिलियन अमेरिकी डालर था। मगर यह जानकार हैरानी होगी की देशी गाय के गौमूत्र और गोबर से निर्मित उत्पाद की भी डिमांड आने लगी है। 👉विदेशों में जैविक खाद की मांग निरंतर बढ़ रही है। लेकिन अब कई दशों ने देशी गाय के गोबर के रिसर्च में पाया की इससे ना केवल फसल के उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है बल्कि इससे उप्तादित उत्पादों के सेवन से गंभीर बीमारियों से भी बचा जा सकत है। यही कारण है की कई देश अब जैविक खाद का हिन्दुस्तान से आयत करने लगे हैं। ऐसे देशों में खाड़ी के देश भी शामिल है। हाल ही में कुवैत की एक कंपनी ने 192 मेट्रिक टन देशो गोबर का ऑर्डर दिया है। पिंजरापोल गौशाला में कंटेनर में गोबर की पैकिंग का काम चल रह अहै और पहली खेप 15 जून को यहाँ से कांदला बंदरगाह से खाड़ी देश के लिए रवाना हो जाएगा। 👉आखिर खाड़ी देशों में अचानक देशी गाय के गोबर की मांग इतनी क्यों हो गयी है? इसके पीछे एक बड़ी वजह यह है की कुवैत के कृषि वैज्ञानिकों ने गहन रिसर्च के बाद पाया की फसलों के लिए देशो गाय का गोबर बेहद उपयोगी है। रिसर्च में पाया गया की खजूर की फसल खाड़ी देशों में पेस्टीसाईड के कारन प्रभावित हो रही है, खाड़ी देशों के निर्यात होने वाले पेस्टीसाईड से स्थानिय लोगों के साथ-साथ के साथ अब यूरोपियन देश तौबा कर रहे हैं। जिसकी वजह से खाड़ी देशों का बाज़ार प्रभावित हो रहा है। 👉शोध में पाया गया की पेस्टीसाईड को ख़त्म करने में गाय का गोबर सबसे ज्यादा कारगर है। यही वजह है कि कुवैत के बाद शारजहाँ ने भी 1000 मेट्रिक टन गाय के गोबर का ऑर्डर दे दिया है। क्योंकि शोध में यह बात भी सिद्द हो गयी है की गाय के गोबर में 0.5 से 0.6 फीसदी नाइट्रोजन, 0.25 से 0.3 फीसदी फास्फोरस 0.25 से 0.3 और पोटाश की मात्रा 0.5 से 1.0 फीसदी होने के साथ गोबर की खाद में कैल्शियम, मैग्नीशियम, गंधक, लोहा, मैंगनीज, तांबा व जस्ता आदि तत्व की जमीं को उपजाऊ बनाने वाली जरुरी तत्व भी पाए जाते हैं। 👉गाय के गोबर के निर्यात की वजह से गाय के संरक्षण में एक बड़ी पहल साबित होगी वरन खाड़ी देशों से हमारे व्यापारिक रिश्तों को ओर भी मजबूत बनाने में कारगर सिद्दा होगा। खाड़ी देशों के लिए निर्यात की यह खबर उस समय और भी सकारात्मक सन्देश दे रही जब हाल ही में कुछ विवादास्पद बयानों के बाद खाड़ी देशों के भारतीय उत्पादों के इस्तेमाल ना करने की खबरें सामने आई है। स्रोत:-Agrostar. 👉किसान भाइयों ये जानकारी आपको कैसी लगी? हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं और लाइक एवं शेयर करें धन्यवाद!
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