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भारत का वो शहर जो पूरी तरह चलता है सोलर ऊर्जा से!
👉🏻ऊर्जा भारत में एक बड़ी चुनौती भरा क्षेत्र बन कर उभर रहा है. जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए भारत सहित दुनिया भर में जीवाश्म ईंधन का उपयोग खत्म करने के लिए दबाव बढ़ रहा है. लेकिन आज भी भारत के जररूत की बिजली का अधिकांश हिस्सा तापीय ऊर्जा केंद्रों में कोयले से पैदा हो रहा है. ऐसे में बिजली के लिए वैकल्पिक स्रोतों को भी भारत सरकार बढ़ावा दे रही है जिसमें सौर ऊर्जा प्रमुख है. भारत का केंद्र शासित जिला दीव देश का पहला ऐसा शहर है जहां पिछले कुछ सालों से रोजाना दिनभर पूरा का पूरा शहर सौ प्रतिशत सौर ऊर्जा से चल रहा है।
ऐसा पहला केंद्र शासित क्षेत्र:-
👉🏻वैसे तो दीव तकनीकी रूप से शहर नहीं है, लेकिन भी यह जिला देश का पहला ऐसा केंद्र शासित क्षेत्र है जहां पिछले पांच सालों से दिन की बिजली की आपूर्ति सौर ऊर्जा से हो रही है. यह आपूर्ति करीब दो सौर पार्क और 112 सरकारी प्रतिष्ठानों के ऊपर लगे रूफटॉप पैनलों से आ रही है. और इससे पैदा होने वाली बिजली पर्याप्त रूप से पूरे शहर की दिन भर की ऊर्जा जरूरतों के लिए काफी है।
केंद्र के अधीन है यह क्षेत्र:-
👉🏻दीव दमण और दीव केंद्र शासित प्रदेश में आता है दोनों ही भौगोलिक रूप से अलग अलग क्षेत्र हैं, लेकिन प्रशासनिक तौर पर दोनों एक ही निकाय के तहत आते हैं. दीव का प्रशासन सीधे भारत सरकार के अधीन है और इसकी अपनी कोई राज्य सरकार नहीं है. दीव गुजरात राज्य के दक्षिणतम बिंदु पर स्थित है।
पूरे दिन केवल सौर ऊर्जा से बिजली:-
👉🏻आज 42 वर्ग किलोमीटर वाले इस शहर में 7 मेगावाट के आसपास की मांग है. दीव में दिन भर सभी घर, एयर कंडीशन वाले रिसॉर्ट, दीव का 60 पलंगों वाला अस्पताल, एयर कंडीशन वाले सरकारी गैर सरकारी सभी ऑफिस इमारतें, आइसक्रीम की फैक्ट्रियां, मछली भंडारगृह, आदि सौर ऊर्जा से चलते हैं।
👉🏻आज दीव (Diu) सौर ऊर्जा की वजह से ऊर्जा के मामले में काफी हद तक आत्मनिर्भर हो गया है।
दो संयंत्र:-
👉🏻दीव में ऊर्जा विभाग ने दो सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए हैं जिनकी क्षमता 13 और 10 मेगावाट ऊर्जा है जबकि रूफटॉप सिस्टम की क्षमता 3 मेगावाट है. इससे पहले दीव अपनी ऊर्जा की आपूर्ति के लिए पूरी तरह से गुजरात पर निर्भर करता था. जब इन्हें स्थापित किया गया था तब इनकी क्षमता उस समय की शीर्ष मांग के के दो गुनी थी जो आज की मांग की पूरा करने में सक्षम है।
और यह व्यवस्था भी:-
👉🏻इतना ही नहीं अगर सौर ऊर्जा से होने वाला उत्पादन स्थानीय मांक से अधिक का होता है, तो बिजली गुजरात को भी दी जा सकती है. वहीं रात के समय या बादलों के छाए रहने वाले दिनों में ऊर्जा उत्पादन ना होने की वजह से ऊर्जा की आपूर्ती अन्य स्रोतों से भी की जा सकती है ऐसी पूरी व्यवस्था दीव के ऊर्जा विभाग ने कर रखी है. यह व्यवस्था देश के अन्य क्षेत्रों में भी है जहां सौर ऊर्जा का उत्पादन कर स्थानीय जरूरतों को पूरा किया जाता है।
👉🏻दीव (Diu) में अब जब भी सौर ऊर्जा से ज्यादा बिजली पैदा होती है तो वह गुजरात ग्रिड में चली जाती है और जरूरत पड़ने पर वहां से बिजली ले ली जाती है।
कब शुरू हुआ था इन सौर पार्कों पर काम:-
👉🏻दीव में सौर ऊर्जा के उपयोग के लिए प्रयास साल 2013 में शुरू हो गए थे. दीव में बहुत सा इलाका बंजर और पथरीला है जो सरकारी कब्जे में हैं. इसका फायदा उठाते हुए इस तरह की जमीन चुनी गई है जो अन्य लिहाज से अनुपयोगी हो, पर वहां जनसंख्या घनत्व कम हो और सौर ऊर्जा में किसी तरह का व्यवधान ना हो. लेकिन एक बार इन सौर पार्क के शुरू होने के बाद सा 2017 में विभाग को पता चल सका कि वे अब दिन भर की मांग पूरी करने में सक्षम हो गए हैं।
👉🏻आज जहां देश भर में कोयले की आपूर्ति और भंडारण की वजह से बिजली संकट की खबरें आ रही हैं. दीव एक ऐसी मिसाल है जो आने वाले समय में देश की बिजली आपूर्ति के लिहाज से एक गेमचेंजर मॉडल हो सकता है. दूसरे शहरों में बेशक वे हालात नहीं हैं जो दीव के लिए सुविधा बन गए थे. लेकिन सही नियोजन और स्थानीय स्तर पर सौर ऊर्जा का उपोयग देश की बिजली की समस्या को काफी हद तक हल कर सकता है।
स्त्रोत:- News 18,
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