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(भाग-II) मछली के अवशेष से तैयार किया गया जैविक उर्वरक
जैविक खेतीएग्रीकल्चर फॉर एवरीबडी
(भाग-II) मछली के अवशेष से तैयार किया गया जैविक उर्वरक
मछली अवशेष से जैविक उर्वरक बनाने की तैयारी • 1 किलो मछली, • 1 किलो गुड़ • कंटेनर में मक्खियों के प्रवेश को रोकने के लिए कंटेनर के मुंह पर जूट या सूती कपड़े का टुकड़ा बांधें और कंटेनर को घर से बाहर और जानवरों से दूर रखें, क्योंकि पहले चार दिनों के दौरान इसकी तैयारी में बहुत बदबू आती है, जो दूसरे कीड़ों को आकर्षित करती है। • इस मिश्रण को 5 दिन में एक बार और अगले 20 से 30 दिनों के दौरान हिलाना चाहिए। • इस दौरान इसका गंध बदबू से खुशबू में कैसे बदलती है वो दिखता है। • इस प्रक्रिया में 10 दिन लगता है। लेकिन आप इसे 15-20 दिनों तक रख सकते हैं। जब गंध पूरी तरह से खत्म हो जाए तो आप इसे इस्तेमाल में ले सकते हैं। • यह मिश्रण छानने के बाद शहद की तरह दिखाई देता है। • इस मिश्रण को जार में कपड़ा बांधकर रखें। • यह मिश्रण छह महीने तक अच्छा रहता है। • आप मछली के टुकड़े का उपयोग दो से तीन बार मिश्रण बनाने में कर सकते हैं। लेकिन इस मिश्रण को तैयार करने के लिए आपको हर बार उतनी ही मात्रा में गुड़ डालने की आवश्यकता होती है।
फायदे ¬- मछली के अवशेष से बना जैविक उर्वरक पौधों के लिए एक बहुत अच्छा टॉनिक है। यह पौधों की वृद्धि में सहायता करता है जो नाइट्रोजन (8% -10% पौधों की आवश्यकतानुसार) प्रदान करता है। यह अमीनो एसिड, जीवाणुओं, सूक्ष्म और पोषकतत्व का एक समृद्ध स्रोत है जो मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने में भी मदद करता है। यह एक प्राकृतिक विकास प्रमोटर और कीट विकर्षक के रूप में दोनों के लिए प्रभावी साबित होता है। संदर्भ: अग्रोस्टार अग्रोनॉमी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस यदि आपको यह जानकारी उपयोगी लगे, तो फोटो के नीचे दिए पीले अंगूठे के निशान पर क्लिक करें और नीचे दिए विकल्पों के माध्यम से अपने सभी किसान मित्रों के साथ साझा करें।
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