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भाग II - गन्ने के लिए सिलिकॉन का उपयोग आवश्यक है
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भाग II - गन्ने के लिए सिलिकॉन का उपयोग आवश्यक है
3) सिलिकॉन और रोग और कीट व्यवस्थापण - सिलिकॉन का उपयोग करने से कई रोगों और कीटों को रोका जा सकता है। यह ऊनी एफ़िड्स, पायरिल्ला आदि जैसे कीटों को रोकता है और जंग आदि जैसी बीमारियों से बचाता है जो संभावित नुकसान को कम करता है। सिलिकॉन कोशिका की दीवारों को मोटा बनाती है और इसके कारण पत्ते सीधे और खुरदरा बन जाते हैं। इस तरह, ये चूषक कीट के लिए बाधा पैदा करता है जब यह अपने मुंह को घुसाने की कोशिश करते है और उनके जबड़े को नुकसान पहुंचता है। इस प्रकार पौधे को कीटों से सुरक्षा मिलती है और खुरदरा पत्ते के कारण, रोगों के बीजाणु आसानी से अंकुरित नहीं होते। तना छेदक, सफेद मक्खी आदि जैसी कीट गन्ने की फसल को नुकसान पहुंचाती है। वे कई रोगों के बैक्टीरिया को भी फैलाता है। सिलिकॉन इन कीटों और उनके निम्फ के खिलाफ काम करता है।
4) शक्कर के अन्य घटकों में शक्कर के परिवर्तन को रोकना - (इन्वेर्जन ऑफ़ शुगर) - यह प्रक्रिया गन्ने परिपक्व होने के बाद दिखाई देती है। गन्ने में शक्कर सुक्रोज के रूप में से शक्कर के अन्य रूपों में परिवर्तित हो जाती है। इसका परिणाम वजन और उत्पादन घट जाती है। सिलिकॉन के उपयोग के कारण, गन्ना में शक्कर की प्रतिशत बढ़ता है। यह शक्कर है जो उसी ही स्थिति में संग्रहित करके रखने से अन्य उपपदार्थों की परिवर्तन को रोकने जैसे प्रक्रियाओं पर अच्छा प्रभाव दिखाता है। इसके परिणाम स्वरुप, गन्ना और शक्कर के वजन में कमी को रोका जा सकता है। श्री. सुभाष मोरे वरिष्ठ कृषि विशेषज्ञ (गन्ना)
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