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(भाग-I) मधुमक्खी पालन से बढ़ाएं फसल का उत्पादन
सलाहकार लेखएग्रोस्टार एग्रोनोमी सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस
(भाग-I) मधुमक्खी पालन से बढ़ाएं फसल का उत्पादन
मधुमक्खी पालन कृषि से ही जुड़ा एक लघु-व्यवसाय है, जिससे शहद एवं मोम प्राप्त होता है। इसमें कम लागत और अधिक मुनाफा है। इससे किसान खेती और बागवानी उत्पादन भी बढ़ा सकते हैं। मधुमक्खी द्वारा परागण के बाद जो अन्न होता है, उन दानों का वजन एवं पौष्टिकता भी अच्छी रहती है। मधुमक्खी पालन के महत्व :  मधुमक्खियां उत्कृष्ट परागणकर्ता हैं जो एक बार में ही 100 फूलों से पराग और मकरंद इकट्ठा करती हैं।  मधुमक्खियां सामाजिक कीट मानी जाती हैं। एक शहद के छत्ते में 20 से लेकर 80,000 मधुमक्खियां एक साथ रहती हैं।  मधुमक्खियां फूलों के पौधों में परागन क्रिया 16 प्रतिशत तक बढ़ा सकती हैं। आवश्यक सामग्री: मधुमक्खी पालन के लिए लकड़ी का बॉक्स, बॉक्सफ्रेम, मुंह पर ढकने के लिए जालीदार कवर, दस्तानें, चाकू, शहद निकालने की मशीन, शहद इकट्ठा करने के लिए ड्रम आदि की आवश्यकता होती है।
मधुमक्खी के प्रकार: मधुमक्खियां 5 प्रकार की होती हैं- एपिस मेलीफेरा, एपिस इंडिका, एपिस डोरसाटा, एपिस फ्लोरिया और मेलिपोना इरिडिपेनिस। इस व्यवसाय के लिए एपिस मेलीफेरा मधुमक्खियां अधिक शहद उत्पादन करने वाली और शांत स्वभाव की होती हैं। इन्हें डिब्बों में आसानी से पाला जा सकता है। इस प्रजाति की रानी मक्खी में अंडे देने की क्षमता भी अधिक होती है। स्रोत – श्री. एस. के. त्यागी यदि आपको यह जानकारी उपयोगी लगे, तो फोटो के नीचे दिए पीले अंगूठे के निशान पर क्लिक करें और नीचे दिए विकल्पों के माध्यम से अपने सभी किसान मित्रों के साथ साझा करें।
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