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(भाग-I) मछली के अवशेष से तैयार किया गया जैविक उर्वरक
जैविक खेतीएग्रीकल्चर फॉर एवरीबडी
(भाग-I) मछली के अवशेष से तैयार किया गया जैविक उर्वरक
मछली के अवशेष से तैयार किया गया उर्वरक (गुनापासेलम) पौधों के लिए एक उत्कृष्ट टॉनिक है। यह पौधों को नाइट्रोजन (8% -10% पौधों की आवश्यकतानुसार) प्रदान करके उनकी वृद्धि में मदद करता है। यह अमीनो एसिड, जीवाणु, सूक्ष्म अन्नद्रव का एक समृद्ध स्रोत है जो मिट्टी की उर्वरता क्षमता को बढ़ाता है।
यह एक प्राकृतिक वृद्धि कारक और कीट विकर्षक के रूप में दोनों के लिए प्रभावी होता है। इसे दूसरे स्प्रे के साथ मिलाकर इस्तेमाल करें यह फसलों के जड़ को खाने वाले कीट को भी नियंत्रित करने में मदद करता है। यह उर्वरक पोषक तत्वों से भरपूर होती है, इसमें (N, K, Ca, Mg, P और S) और सूक्ष्मतत्व (Cl, Fe, B, Mn, Zn, Cu, Mo और Ni) शामिल हैं। _x005F_x000D_ आवेदन :_x005F_x000D_ • इन्हें पौधों की पत्तियों पर इस्तेमाल करना चाहिए। खेत में शाम के समय इसे पानी में 3 से 5 प्रतिशत तक छिड़काव करना चाहिए। इससे पौधों की वृद्धि अच्छी होती है, उनमें सही से फूल आते हैं और फसल की उपज बढ़ाने में भी मदद मिलती है। _x005F_x000D_ • यदि किसी के पास अधिक मछली का अवशेष हो तो इसे सिंचाई के दौरान भी पानी के साथ मिलाया जा सकता है (अनुपात 2 लीटर प्रति 100 लीटर पानी)।_x005F_x000D_ • यदि हम इस अर्क को 3 से 10 किलोग्राम मछली के अवशेष से तैयार करते हैं, तो यह मात्रा एक एकड़ भूमि में उपयोग करने के लिए पर्याप्त होती है।_x005F_x000D_ संदर्भ: एग्रोस्टार एग्रोनॉमी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस_x005F_x000D_ यदि आपको यह जानकारी उपयोगी लगे, तो फोटो के नीचे दिए पीले अंगूठे के निशान पर क्लिक करें और नीचे दिए विकल्पों के माध्यम से अपने सभी किसान मित्रों के साथ साझा करें।
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