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भाग-२ कैसे ना कैसे तो २ रुपयें कमाना ही हैं
सलाहकार लेखएग्रोस्टार एग्रोनोमी सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस
भाग-२ कैसे ना कैसे तो २ रुपयें कमाना ही हैं
किसानों के साथ छलावा केवल व्यक्ति नहीं करतें, प्रकृती हर मोड़ पर किसानों की परीक्षा लेती रहती हैंI अकारण और अकस्मात भारी वर्षा, ओला वृष्टि और अन्य परीक्षाओं में कई इलाके इतने बर्बाद हो जाते हैं की किसानों में दो-तीन वर्षों तक सर उठाने की शक्ति नहीं बचतीI
फसल बीमा को अकस्मात परिस्थितियों से बचने के लिए लाया गया था, परंतु, अगर भरपाई की रकम पर गौर करें तो यह उंट के मुह में जीरे के सामान हैंI फायदे को तो छोड़ ही दे, भरपाई की रकम से उत्पादन पर होने वाले खर्च भी नहीं निकलतेI कई बार तो ऐसा हुआ हैं की प्रीमियम की
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