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बारिश थमने के बाद अब सोयाबीन पर तीन तरह की इल्ली का अटैक
कृषि वार्तादैनिक भास्कर
बारिश थमने के बाद अब सोयाबीन पर तीन तरह की इल्ली का अटैक
बारिश का दौर थमने के बाद अब सोयाबीन फसल पर इल्ली का प्रकोप दिखाई देने लगा है। हालांकि ये एक सप्ताह पहले से ही दिखाई देने लगी थीं लेकिन अब इनकी संख्या बढ़ती जा रही है। किसानों की मानें तो तीन तरह की इल्ली का प्रकोप इस समय देखा जा रहा है। यदि समय रहते दवाओं का छिड़काव नहीं किया गया तो ये काफी नुकसान पहुंचा देंगी। अभी कई जगहों में इन इल्लियों का प्रकोप देखा जा रहा है। इस बार काफी अच्छी बारिश हो रही है। लगातार बारिश होने से खेतों में पानी भराव की स्थिति भी बनी तो वहीं दूसरी ओर यह भी देखने में आया कि इन जगहों के फसलें पीली पड़ने लगीं। अब बारिश का दौर थमा तो इल्ली दिखाई देने लगी हैं। कई गांवों के किसान फसलों में इल्ली लगने की सूचना देने लगे हैं। किसानों की मानें तो तीन तरह की इल्ली इस समय पौधों में दिखाई देने लगी हैं। इनमें हरि अर्धकुण्डलाकर इल्ली, तम्बाकू की इल्ली और गर्डल बीटल हैं। कैसे करें इल्ली से बचाव इल्ली से नियंत्रण के लिए छोटी अवस्था में क्विनालफॉस 25% ईसी 1500 मिली या मिथोमिल 40% एसपी 1000 ग्राम हेक्टेयर 600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। यदि इल्लियां बड़ी अवस्था में हैं तो इंडोक्साकार्ब 14.5 एसपी 500 मिली दवा चिपकने वाले पदार्थ के साथ मिलाकर छिड़काव करें। सब्जियों को सफेद मक्खी से बचाएं किसानों को वैज्ञानिकों ने सलाह दी है कि भिंडी, लौकी, तोरई के अलावा सोयाबीन, मूंग, अरहर, तिल, उड़द में सफेद मक्खी का प्रकोप होता है। यह मक्खी फसल पर विषाणु जनित पीला मोजेक रोग फैलाती है। रोग के लक्षण पौधे के पत्ते पर दिखाई देते हैं। नियंत्रण के लिए मौसम साफ होते ही थायोमिथोक्सम 25% डब्लूजी 100 ग्राम प्रति हेक्टेयर या इथोफेनप्राक्स 10% ईसी 1.25 लीटर प्रति हेक्टेयर या एसिटामिप्रीड 20% एसपी 200-250 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। दैनिक भास्कर 19 Aug. 2019
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