AgroStar
सभी फसलें
कृषि ज्ञान
कृषि चर्चा
अॅग्री दुकान
बाढ़ में भी सुरक्षित रहेगी धान की ये अनोखी किस्म, नहीं पड़ेगा पैदावार पर असर!
सलाहकार लेखTractor Junction,
बाढ़ में भी सुरक्षित रहेगी धान की ये अनोखी किस्म, नहीं पड़ेगा पैदावार पर असर!
जानें, धान की इस नई किस्म की खासियत और लाभ? 👉🏻देश तटीय इलाकों में बसे राज्यों में अति बारिश और बाढ़ का आना कोई नयी बात नहीं है। प्रतिवर्ष कई राज्यों में बाढ़ के हालत हो जाते हैं और इससे वहां के किसानों की कई क्विंटल फसल नष्ट हो जाती है जिससे प्रतिवर्ष किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। सबसे ज्यादा मुसीबत धान की खेती करने वाले किसानों के सामने आती है। हालांकि धान की खेती के लिए पानी की आवश्यकता होती है पर अति बारिश और बाढ़ से इसकी फसल को नुकसान होता है। इन्हीं समस्याओं को देखते हुए जोनल एग्रीकल्चर एंड हॉर्टिकल्चरल रिसर्च स्टेशन (जेडएएचआरएस), ब्रह्मवार, उडुपी जिला, कर्नाटक राज्य ने 2019 के दौरान बाढ़ प्रतिरोधी लाल चावल किस्म- सह्याद्रि पंचमुखी अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के तहत चावल परियोजना (आईसीएआर) जारी की है। बाढग़्रस्त इलाकों में धान का कम उत्पादन:- 👉🏻बता दें कि तटीय कर्नाटक में आम तौर पर धान की किस्में जैसे एमओ 4 और स्वदेशी किस्म- काजयाया की खेती बड़े क्षेत्र में की जाती है यहां तक कि एक सप्ताह की बाढ़ की स्थिति के कारण भी कम उत्पादन होता है। तटीय कर्नाटक के मैंगलोर तालुक (दक्षिण कन्नड़ और उडुपी) में धान की खेती के लिए प्रतिकूल स्थिति पैदा करने वाली लंबी अवधि के लिए बाढ़ के साथ 300 हेक्टेयर धान की भूमि जलमग्न है और जिसके परिणामस्वरूप उत्पादन कम होता है। इसलिए, क्षेत्र की कम बाढ़ की स्थिति के लिए उपयुक्त धान की किस्म समय की आवश्यकता महसूस होने के बाद इस धान की नई किस्म को बाढग़्रस्त इलाकों के लिए जारी किया गया है। क्या है धान की सह्याद्रि पंचमुखी किस्म की विशेषताएं:- 👉🏻जहां धान या कोई भी पौधा ज्यादा पानी बर्दाश्त नहीं करता वहां ये किस्म पानी में डूबने पर भी भरपूर पैदावार देगी। 👉🏻इसकी किस्म की खास बात यह है कि बाढ़ का असर 8-10 दिन रहने पर भी इसका पौधा गलेगा नहीं। इस लिहाज से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लिए सह्याद्रि पंचमुखी की फसल बिल्कुल सुरक्षित रहती है। 👉🏻धान की यह फसल 110-130 दिनों में तैयार हो जाती है। 👉🏻इस धान से पैदा होने वाले चावल का टेस्ट बेहद स्वादिष्ट होता है। 👉🏻इसकी खुशबू लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। वैज्ञानिक मानते हैं कि इसकी खुशबू के कारण दिनों दिन सह्याद्री पंचमुखी की मांग और बढ़ेगी। 👉🏻कई अलग-अलग परीक्षणों से यह बात साफ हो गई है कि मंगलोर के तालुका में एमओ4 की तुलना में सह्याद्रि पंचमुखी धान की फसल ज्यादा कारगर साबित होगी। 👉🏻रिसर्च के मुताबिक, सह्याद्रि धान का उत्पादन 26 फीसद तक ज्यादा है और पानी का भी कोई असर नहीं पड़ता। बीज का उत्पादन शुरू, जल्द किसानों तक पहुंचेंगे:- 👉🏻मंगलोर स्थित कृषि अनुसंधान केंद्र में इसके बीज का उत्पादन शुरू कर दिया गया है ताकि ज्यादा से ज्यादा किसानों तक इसे पहुंचाया जा सके। अब तक किए गए कार्यों के मुताबिक, 2019 के खरीफ सीजन के दौरान 500 एकड़ जमीन पर सह्याद्रि पंचमुखी बोने का लक्ष्य रखा गया। इसके तहत चार किसानों को सह्याद्रि पंचमुखी के 180 क्विंटल बीज बांटे गए। खरीफ 2020 के दौरान धान रोपाई का लक्ष्य बढ़ाकर 1 हजार एकड़ कर दिया गया। इसके लिए मंगलोर के 11 किसानों को 250 क्विंटल बीज दिए गए है। इनमें एक किसान सह्याद्रि पंचमुखी के 100 क्विंटल बीज तैयार करने में सफल रहे। इस साल बीज उत्पादन का काम और तेज किया जा रहा है ताकि अधिक से अधिक किसान इस किस्म की खेती कर लाभान्वित हो सके। इधर वैज्ञानिक भी इस धान की इस किस्म को अपने क्षेत्र में लगाने के लिए किसानों को प्रेरित कर रहे हैं। 👉🏻खेती तथा खेती सम्बंधित अन्य महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए कृषि ज्ञान को फॉलो करें। फॉलो करने के लिए अभी ulink://android.agrostar.in/publicProfile?userId=558020 क्लिक करें। स्रोत:- Tractor Junction, 👉🏻 प्रिय किसान भाइयों अपनाएं एग्रोस्टार का बेहतर कृषि ज्ञान और बने एक सफल किसान। दी गई जानकारी उपयोगी लगी, तो इसे लाइक 👍 करें एवं अपने अन्य किसान मित्रों के साथ शेयर करें धन्यवाद!
21
10
अन्य लेख