गुरु ज्ञानएग्रोस्टार एग्रोनोमी सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस
बागवानी फसलों में दीमक
• दीमक को मिट्टी में गहरी रहनेवाली रानी कहां जाता है।
• दीमक मिट्टी में प्रकाश से दूर रहते है और पौधों की जड़ों की प्रणाली को नुकसान पहुंचाते है और मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों को खाते है।
• दीमक पेड़ के तने पर मिट्टी दीर्घाएं बनाते हैं, उसमें रहते हैं और छाल /तना की सतह पर अंडे देते हैं।
• यह तना पर मौजूद घावों या टूटी टहनियों / शाखाओं से पेड़ के तने के मध्य भाग में भी प्रवेश करते है और आंतरिक मामलों को खाते है।
• संक्रमित पेड़ / पौधे समय-समय पर सूख जाते हैं।
• दीमक बागों की नर्सरी को बहुत नुकसान पहुँचाते है।
• बागों की सीमाओं से दीमक द्वारा बनाए गए टरमटेरा को नष्ट करें।
• गर्मियों में मिट्टी में दीमक को नष्ट करने के लिए बागों की गहरी जुताई करें।
• यदि बगीचा में अंतरफसल की जा रही है, तो कटाई के बाद फसल के अवशेषों को नष्ट कर दें।
• एफवाईएम का अच्छी सड़ी खाद का उपयोग करें। केंचुओं से बने जैविक उर्वरक का उपयोग करना बेहतर है।
• पौधों के चारों ओर मिट्टी में नीम या अरंडी की खल डालिए, जो फसल को दीमक से रक्षा करेगा।
• दीमक द्वारा बनाये गए छेद में क्लोरपायरीफॉस 20 ईसी @ 250 मिलीलीटर प्रति 10 लीटर पानी में डालें जो दीमक के सभी चरणों को मार दें।
• नए बागवानी फसलों पर क्लोरपायरीफॉस 20 ईसी @ 50 मिली प्रति 10 लीटर पानी में मिलाकर दीजिए । मिट्टी में पौधे के चारों ओर ड्रेंचिंग करे। 6 महीने बाद भी दोबारा दोहराएं।
• पेड़ के चारों ओर मिट्टी की अच्छी जुताई करें और बगीचा में दो सिंचाई के बीच के अंतराल को कम करें।
स्रोत : एगोस्टार एग्रोनॉमी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस
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