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फसल अवशेष जलाने पर होगी कार्रवाई!
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फसल अवशेष जलाने पर होगी कार्रवाई!
👉🏻मध्य प्रदेश सरकार फसल अवशेष को जलाने से रोकने के लिए नया नियम लेकर आई है. इसके तहत फसल अवशेष जलाने वाले किसानों के खिलाफ जुर्माना लगाए जाने का प्रावधान रखा गया है. अगर किसान फसल अवशेष जलाते हैं तो उन्हें 2500 से लेकर 15,000 रुपए तक का जुर्माना देना पड़ सकता है. नए नियम के संबंध में जानकारी देते हुए सरकार की तरफ से कहा गया कि फसल अवशेष जलाने से न सिर्फ प्रदूषण होता है बल्कि पैदावार पर भी असर पड़ता है. वहीं जैव विविधता भी प्रभावित होती है. इसी कारण सरकार फसल अवशेष को जलाने से रोकना चाहती है। 👉🏻कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर बीएल बिलैया ने कहा कि गेहूं की कटाई के लिए किसान कंबाइन हार्वेस्टर का प्रयोग कर रहे हैं. वह ऊपर से ही गेहूं की कटाई करता है. ऐसे में फसल अवशेष खेत में ही रह जाते हैं, जिसे बाद में किसान जलाते हैं. इससे प्रदूषण तो होता ही है, जिस खेत में अवशेष को जलाया जाता है, अगली फसल लगाने पर उत्पादकता भी घट जाती है. जैव विविधता भी प्रभावित होती है. कई ऐसे जीव हैं जो खेत की उर्वरक शक्ति बढ़ाते हैं. लेकिन अवशेष जलाने से सबकुछ पर असर पड़ता है। 👉🏻उन्होंने कहा कि फसल अवशेष जलाने के दौरान सतह का तापमान 60-65 जिग्री तक पहुंच जाता है, जिससे मिट्टी के मददगार जीव मर जाते हैं. उन्होंने कहा कि अगर किसान फसल अवशेष का सही तरीके से प्रबंधन करते हैं तो वे खाद बन जाएंगे और खेत की उर्वरक शक्ति बढ़ेगी. किसानों को जागरूक करने का काम भी किया जा रहा है ताकि वे खुद ही इस काम को करना बंद कर दें। 👉🏻फसल अवशेष से कमाई कर सकते हैं किसान पर्यावरण मंत्रालय की तरफ से जारी किए गए नोटिफिकेशन के मुताबिक, 2 एकड़ क्षेत्र में फसल अवशेष जलाने पर 2500 रुपए जुर्माने का प्रावधान किया गया है. 5 एकड़ के लिए 5000 और 5 एकड़ से अधिक के लिए 15,000 रुपए जुर्माने की बात कही गई है. उन्होंने किसानों से अपील की कि वे गेहूं की कटाई के बाद बचे अवशेष को जलाने से बचें. रोटावेटर या अन्य कृषि उपकरण से जुताई के वक्त उसे मिट्टी के साथ मिला दें. कुछ दिनों के बाद वह खाद के रूप में परिवर्तित हो जाएगा और आगामी खरीफ फसलों के लिए काफी लाभप्रद भी होगा। 👉🏻👉🏻👉🏻किसान इससे कमाई भी कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि गेहूं के डंठल से किसान भूसा बना सकते हैं. कंबाइन से कटाई की वजह से भूसा की कमी है. पशुपालक चारा के लिए इसकी खरीद करेंगे. वे चाहें तो सीधे डंठल को भी बेच सकते हैं. इसकी अच्छी कीमत मिल रही है. किसान इससे कमाई भी कर सकेंगे और प्रदूषण के साथ ही जैव विविधता पर असर नहीं पड़ेगा। स्रोत:- Agrostar India, 👉🏻किसान भाइयों ये जानकारी आपको कैसी लगी? हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं और लाइक एवं शेयर करें धन्यवाद!
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