गुरु ज्ञानएग्रोस्टार एग्रोनोमी सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस
फसलों में मकड़ी का प्रबंधन
मकड़ी गैर-कीट की श्रेणी में आती है। बदलती पर्यावरणीय स्थिति, फसल के स्वरूप में बदलाव आदि मकड़ी की बढ़ती संख्या के कारण हैं। फसलों की क्षति के अलावा, कुछ प्रजातियों को शिकारी मकड़ी के रूप में जाना जाता है। मकड़ी अधिकतर लाल रंग की होती हैं।
नुकसान: क्षतिग्रस्त पत्तियों में हल्के पीले धब्बे, पीतल जैसा पाउडर, पत्तियां चमकीली, पत्तियों का मुड़ना, पत्तियां छूने पर करकरी और अंत में पत्तियों का गिरना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। कभी-कभी, पौधों की पत्तियां भी विकृत हो जाती है। पौधे के क्षतिग्रस्त हिस्सों पर महीन गुच्छे देखे जाते हैं। गर्म मौसम में कीटों का संक्रमण बढ़ जाता है। सामान्य रूप से मकड़ी वायरल रोगों के लिए वैक्टर के रूप में काम करती हैं। मुख्य रूप से भिंडी, बैंगन, मिर्च, धान, कपास, सपोटा, आम, चाय, मटर, नारियल, ज्वार आदि फसलों में मकड़ी का अधिक संक्रमण देखा जाता है।
प्रबंधन:_x000D_
_x000D_
1. खेतों की मेड़ों को साफ रखे।_x000D_
2. फसल के अवशेषों को अच्छी तरह नष्ट करें।_x000D_
3. खरपतवार मुक्त खेत रखें।_x000D_
4. उचित फसल चक्र को अपनाएं।_x000D_
5. अनुशंसित नाइट्रोजनयुक्त उर्वरकों का उपयोग करें।_x000D_
6. प्रारंभिक रूप से नीम आधारित यौगीकों को शिकारी मकड़ी और कीटों के संरक्षण के लिए छिड़काव करें।_x000D_
7. मछली के तेल, रेजिन साबुन, नीम आधारित योगीकों और नीम तेलों जैसे जैव कीटनाशकों का छिड़काव करें।_x000D_
8. सिंथेटिक पाइरेथ्रोइड्स समूह कीटनाशकों के छिड़काव से बचें।_x000D_
9. प्रोपरगाइट 57 ई.सी.@ 10 मिली, एबामेक्टिन 1.8 ई.सी.@2 मिली, स्पिरोटेट्रामेट 150 ओडी @ 2.5 मिली, फेनिप्रोक्सिमेट 5 एस.सी. @ 10 मिली, फेनजाक्विन 10 ई.सी. @ 10 मिली, इथिऑन 50 ई.सी./10 मिली, क्लोरफेनापायर 10 ई.सी. @10 मिली। स्पिरोमेसिफेन 22.9 ई.सी.@ 10 मिली आदि। मकड़ी के नियंत्रण के लिए अनुशंसित फसलों में छिड़काव किया जा सकता है।_x000D_
डॉ. टी.एम. भरपोडा,
एंटोमोलॉजी के पूर्व प्रोफेसर,
बी ए कालेज ऑफ एग्रीकल्चर, आनंद कृषि विश्वविद्यालय, आनंद- 388 110 (गुजरात भारत)
यदि आपको यह जानकारी उपयोगी लगे, तो फोटो के नीचे दिए पीले अंगूठे के निशान पर क्लिक करें और नीचे दिए विकल्पों के माध्यम से अपने सभी किसान मित्रों के साथ साझा करें।