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फलदार पौधों को पाले से बचाने के उपाय!
कृषि वार्ताAgrostar
फलदार पौधों को पाले से बचाने के उपाय!
👉सर्दी के मौसम में आम के नए बागों के पौधों को पाले से बचाना बहुत ही जरूरी है. जनवरी में नर्सरी में लगे पौधों को पाले से बचाने के लिए उपाय के बारे में जानेंगे! फल वाली फसलों की प्रकृति बहुवर्षीय होती है. इनका रखरखाव धान्य फसलों से एकदम भिन्न होता है. ऐसे भी आम और लीची ,पपीता जैसी फल फसलों में फूल फरवरी महीने में ही आ जाते हैं. इसलिए और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है कि इन फल फसलों की देखभाल कैसे की जाए, ताकि इनके पेड़ों को लगने वाले रोगों से बचाया जा सके. अगर आपने फूल लगने के दौरान सही तरह से ध्यान नहीं दिया तो आम और लीची व पपीते के उत्पादन पर असर पड़ सकता है. इसलिए आज आपको देश के वरिष्ठ फल वैज्ञानिक डॉक्टर एसके सिंह आम और लीची ,पपीता की खेती करने वालों किसानों के लिए महत्वपूर्ण बातें बताया जिसे आप जरूर पालन करें. 👉सर्दी के मौसम में आम ,लीची ,पपीता के नए बागों के पौधों को पाले से बचाना बहुत ही जरूरी है. जनवरी में नर्सरी में लगे पौधों को पाले से बचाने के लिए उसे घास- फूस या पुआल से बने छप्पर से ढक देना चाहिए. पाले से बचाव के लिए बाग में समय-समय पर हल्की सिंचाई भी करते रहना चाहिए. साथ ही पाले से बचाव के लिए बागों की निराई- गुड़ाई एवं सफाई भी करते रहना चाहिए. 👉खाद प्रबंधन :- आम के बड़े पेड़, जिसमें बौर आने वाले हों उसका विशेष ध्यान रखना आवश्यक है. जनवरी के पहले सप्ताह में आने वाले बौर में फल नहीं लगते और ये अक्सर गुच्छे का रूप धारण कर लेते हैं. इसलिए ऐसे बौर को काटकर नष्ट कर देना चाहिए. वहीं, आम में उर्वरक देने का सही समय जून से लेकर 15 सितंबर तक है. इस समय 10 वर्ष या 10 वर्ष से बड़े आम के पेड़ों में नाइट्रोजन 500 ग्राम, फॉस्फोरस 500 ग्राम तथा पोटाश 750 ग्राम प्रति पौधा तत्व के रूप में प्रयोग करें. इन्हें मिट्टी में मिलाकर हल्की सिंचाई कर दें. फिर, बागों की निराई-गुड़ाई एवं सफाई का कार्य करें. 👉छिड़काव करने से वातावरण का तापमान कुछ बढ़ जाता है फरवरी में पेड़ के चारों तरफ खूब अच्छी तरह से निराई गुड़ाई करें. मैंगो हॉपर (फुदका ) के नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड की 1मिली लीटर दवा को प्रति दो लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें. साथ ही चूर्णिल आसिता रोग से बचाव के लिए केराथेन नामक फफुंदनाशक की एक मिलीलीटर ग्को प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव फरवरी के अंतिम सप्ताह में अवश्य करें. तापमान कम होने की वजह से यदि मंजर कम निकल रहा हो तो कैराथेन नामक फफुंदनाशक के स्थान पर घुलनशील गंधक की 3 ग्राम मात्रा को प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से वातावरण का तापमान कुछ बढ़ जाता है. 👉ध्यान रखने योग्य बात है कि इन्हीं दिनों पौधों पर फूल आते हैं और यदि किसी भी कीटनाशी का प्रयोग फूलों पर किया गया तो परागण करने वाले कीट बाग में नहीं आयेंगे, जिसकी वजह से संपूर्ण परागण न होने से कम फल लगेंगे. फरवरी में छोटे आम के पौधों के ऊपर से छप्पर हटा दें. 👉स्त्रोत:-Agrostar किसान भाइयों ये जानकारी आपको कैसी लगी? हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं और लाइक एवं शेयर करें धन्यवाद!
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