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पौधों में फॉस्फोरस के कार्य व कमी के लक्षण!
सलाहकार लेखएग्रोस्टार एग्रोनोमी सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस
पौधों में फॉस्फोरस के कार्य व कमी के लक्षण!
-:स्फूर (फास्फोरस) के कार्य व कमी के लक्षण एवं उपचार:- स्फूर के कार्य व कमी के लक्षण:- 👉🏻जड़ प्रणाली का विकास करता है। 👉🏻कोशिका विभाजन में सहायता करता है। 👉🏻फसलों को समय पर पकने में मदद करता है। 👉🏻धान्य फसलों में कल्लों की संख्या को बढ़ाता है जिसके फलस्वरूप बालियों एवं दानों की संख्या बढ़ती है। 👉🏻ऊर्जा रूपांतर, वसा, प्रोटीन एवं कार्बोहाइड्रेट बनाने में योग देता है। 👉🏻दलहनी फसलों की जड़ों की ग्रंथियों में स्थित राइजोबियम बैक्टिरिया की क्रियाशीलता को बढ़ाता है। 👉🏻फास्फोरस की कमी से पत्तियों का रंग गहरा हरा, बैगनी हो जाता है और पत्तियों का अग्रभाग मर जाता है। 👉🏻पौधों का रंग प्राय: गहरा ही रहता है पर निचली पत्तियाँ पीली होकर सूख जाती है। 👉🏻पौधों की वृद्धि रुक जाती है तथा पत्तियाँ पीली होकर सूख जाती है। 👉🏻पूर्णवृतों पर बैगनी रंग हो जाता है जैसे – मक्का में। 👉🏻गन्ने में पत्तियाँ संकरी तथा नीली हरी हो जाती है। आलू के भीतरी भाग में धब्बे पड़ जाते हैं। स्फूर उपचार:- 👉🏻खड़ी फसल पर स्फूर की कमी का उपचार संभव नहीं है। इसके लिए मिट्टी जाँच करवाकर अनुशंसित स्फूर की मात्रा को बुआई से पहले कम्पोस्ट के साथ मिलाकर डालने से पौधों के लिए स्फूर की उपलब्धता बढ़ जाती है। उर्वरक के रूप में एस.एस.पी. डी.ए.पी. एवं रॉक फ़ॉस्फेट को उपयोग में लाया जा सकता है। स्रोत:- एग्रोस्टार एग्रोनोमी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, 👉🏻 प्रिय किसान भाइयों दी गयी उपयोगी जानकारी को लाइक 👍 करें एवं अपने अन्य किसान मित्रों के साथ शेयर करें धन्यवाद!
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