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पौधों में पोटाश के कार्य व कमी के लक्षण!
सलाहकार लेखएग्रोस्टार एग्रोनोमी सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस
पौधों में पोटाश के कार्य व कमी के लक्षण!
-:पोटाश के कार्य व कमी के लक्षण एवं उपचार:- पोटाश के कार्य व कमी के लक्षण:- 👉🏻कार्बोफाइड्रेट उपापचय में पोटाशियम की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसलिए आलू, चुकन्दर, गन्ना जैसी फसलों के लिए यह आवश्यक है। 👉🏻धान्य फसलों, विशेषकर धान और गेहूँ में यह मजबूत और कड़े तने तैयार करता है, जिसके कारण पौधे गिरते नहीं है। 👉🏻बीज और फल को चमकीला और मजबूत बनाता है। 👉🏻पौधों में रोग निरोधी शक्ति को बढ़ाता है। 👉🏻कोशिकाओं में स्थित जल की मात्रा को नियंत्रित करके पोटाशियम पाला एवं सूखे से होने वाली हानि को कम करता है एवं पौधों की रक्षा करता है। 👉🏻यह पौधों के विभिन्न भागों में कार्बोहाइड्रेट के स्थानांतरण में मदद करता है। 👉🏻पोटाश की कमी से पत्तियों की किनारा कटा-फटा एवं उनका अग्र भाग भूरा हो जाता है। 👉🏻पत्तियाँ आकार में छोटी हो जाती है और उनकी वृद्धि रुक जाती है। पोटाश उपचार:- 👉🏻पोटाश की कमी को बुआई से पहले मिट्टी की जाँच से प्राप्त प्रतिवेदन के आधार पर पोटाश उर्वरक की अनुशंसा वाली मात्रा डालकर अथवा खड़ी फसल में पोटाशियम सल्फेट का 2-4 प्रतिशत घोल का छिड़काव कर उपचार किया जा सकता है। स्रोत:- एग्रोस्टार एग्रोनोमी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, 👉🏻 प्रिय किसान भाइयों दी गयी उपयोगी जानकारी को लाइक 👍 करें एवं अपने अन्य किसान मित्रों के साथ शेयर करें धन्यवाद!
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