कृषि वार्ताTV9
पहली बार अलग से पेश होगा कृषि बजट, किसानों को मिलेगा फायदा!
👉राजस्थान में 23 फरवरी को पहली बार अलग से कृषि बजट पेश किया जाएगा. इसके लिए सरकार किसानों, पशुपालकों, डेयरी संघों के पदाधिकारियों तथा जनजातीय क्षेत्र के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा करके उनकी मांगों को जान चुकी है. दावा किया जा रहा है कि अलग कृषि बजट पेश करने से किसानों की समस्याओं का जल्दी समाधान हो पाएगा और असल में वो जो चाहते हैं उस पर काम होगा. किसानों के लिए प्राथमिकता क्या हो, इसमें तय होगा. यह देश में दूसरी राज्य सरकार है जो अलग से कृषि बजट पेश करने जा रही है. द्रमुक सरकार ने पहली बार 14 अगस्त 2021 को तमिलनाडु विधानसभा में पहला विशेष कृषि बजट पेश कर चुकी है।
👉फिलहाल, क्षेत्रफल की दृष्टि से देश के सबसे बड़े राज्य राजस्थान में लोगों की आजीविका का मुख्य आधार कृषि और पशुपालन है, जिसे देखते हुए इस वर्ष से यहां अलग से कृषि बजट की शुरुआत की जा रही है।
👉राजस्थान में कृषि-बागवानी एवं पशुपालन सेक्टर राज्य की अर्थव्यवस्था की धुरी है. क्षेत्रफल के लिहाज से सबसे बड़े राज्य राजस्थान की इकोनॉमी में कृषि क्षेत्र का योगदान 25.56 परसेंट है. प्रदेश की करीब दो-तिहाई आबादी की आजीविका इसी पर निर्भर करती है. यहां लगभग 60 परसेंट लघु एवं सीमांत किसान हैं. कृषि गणना 2015-16 के मुताबिक सूबे में कुल जोतों की संख्या लगभग 77 लाख है. देश के कुल बाजरा उत्पादन में राजस्थान का 44.22 परसेंट एवं सरसों उत्पादन में 43.69 परसेंट का योगदान है।
बरसात से फसलों को बचाने के लिए पर्याप्त व्यवस्था-
👉राजस्थान के कृषि मार्केटिंग राज्य मंत्री मुरारी लाल मीणा ने मंगलवार को विधानसभा में बताया कि राज्य की कृषि उपज मण्डी समितियों (APMC) में किसानों की फसलों को बारिश के पानी से भीगने से बचाने के लिए मण्डी प्रांगणों में पर्याप्त व्यवस्था है. कवर्ड आक्शन प्लेटफार्म एवं पानी निकासी हेतु ड्रेनेज सिस्टम बनाए गए हैं।
👉इसके अलावा मण्डियों द्वारा निशुल्क तिरपाल भी उपलब्ध कराए जाते हैं. मीणा ने प्रश्नकाल के दौरान विधायक चन्द्रकान्ता मेघवाल के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में बताया कि कृषि उपज मण्डी समितियां स्ववित्त पोषित होती हैं. मण्डी समितियों द्वारा मण्डीनिधि में उपलब्ध बचत अथवा राजस्थान राज्य कृषि विपणन बोर्ड से प्राप्त ग्रांट या कर्ज से निर्माण कार्य कराए जाते हैं।
कवर्ड टीनशेड निर्माण के लिए 692 लाख रुपये-
👉मीणा ने बूंदी जिले में स्थित कृषि उपज मण्डी समितियों द्वारा भूमि आवंटन एवं निर्माण (Construction) पर किए गए खर्च का विस्तृत विवरण सदन के पटल पर रखा. उन्होंने बताया कि बूंदी जिले में संचालित कृषि उपज मण्डी समितियों में किसानों की फसल को बारिश से भीगने से बचाने के जिउ उपलब्ध सुविधाएं पर्याप्त हैं।
👉इन सुविधाओं में आवश्यकता अनुसार निरन्तर वृद्धि भी की जा रही है. बूंदी शहर में सृजित नवीन मण्डी यार्ड कुंवारती में कवर्ड टीनशेड निर्माण के लिए 692.81 लाख रुपये का प्रस्ताव प्रक्रियाधीन है. शेष कृषि उपज मण्डी समितियों से इस संबंध में प्रस्ताव प्राप्त होने पर उपलब्ध बचत एवं आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए प्राथमिकता के आधार पर इस प्रकार की सुविधाएं दी जाएंगी।
स्त्रोत:- TV9
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