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पश्चिमी राजस्थान में मशरूम की खेती एक बेहतर विकल्प!
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पश्चिमी राजस्थान में मशरूम की खेती एक बेहतर विकल्प!
👉🏻पश्चिमी राजस्थान मुख्य रूप से शुष्क क्षेत्र के रूप में जाना जाता है जिसमें किसान मुख्यत मानसून के दौरान होने वाली फसल पर निर्भर रहते है पर मानसून के समय कीड़े - बीमारियों, अनावृष्टि, अतिवृष्टि आदि कारणो से किसानों की पैदावार कम होती हैं. इन सब परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुये मशरूम उत्पादन एक विकल्प है. जिसमें किसान और अन्य ग्रामिण लोगों जिनके पास जमीन कम होती है ! 👉🏻वे सभी कम लागत व अन्य फसल की तुलना में कम समय में बिना किसी जोखिम के अधीक उपज प्राप्त कर सकते है. पिछले कुछ वर्षों में भारतीय बाजार में मशरूम की मांग तेजी से बढ़ी है जिस हिसाब से बाजार में इसकी मांग है उस हिसाब से अभी इसका उत्पादन नहीं हो रहा है, ऐसे में किसान मशरूम की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं ! 👉🏻पिछले कई वर्षों से मशरूम की खेती का प्रशिक्षण कृषि विज्ञान केंद्र पर मशरूम विशेषज्ञ दावारा दिया जा रहा है वे बताते है की "तीन तरह के मशरूम का उत्पादन होता है, सितम्बर महीने से 15 नवंबर तक ढ़िगरी मशरूम का उत्पादन कर सकते हैं, इसके बाद आप बटन मशरूम का उत्पादन कर सकते हैं, फरवरी-मार्च तक ये फसल चलती है, इसके बाद मिल्की मशरूम का उत्पादन कर सकते हैं जो जून जुलाई तक चलता है. इस तरह आप साल भर मशरूम का उत्पादन कर सकते हैं.तीन तरह के मशरूम का उत्पादन कर सकते हैं ! - ढिंगरी मशरूम (ऑयस्टर मशरुम) - बटन मशरूम - दूधिया मशरूम (मिल्की) 👉🏻ऑयस्टर मशरूम की खेती बड़ी आसान और सस्ती है. इसमें दूसरे मशरूम की तुलना में औषधीय गुण भी अधिक होते हैं. दिल्ली, कलकत्ता, मुम्बई एवं चेन्नई जैसे महानगरों में इसकी बड़ी माँग है. इसलिये विगत तीन वर्षों में इसके उत्पादन में 10 गुना वृद्धि हुई है. राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों में भी ओईस्टर मशरूम की कृषि लोकप्रिय हो रही है ! 👉🏻बटन मशरूम निम्न तापमान वाले क्षेत्रों में अधिक उगाया जाता है, लेकिन अब ग्रीन हाउस तकनीक द्वारा यह हर जगह उगाया जा सकता है. सरकार द्वारा बटन मशरूम की खेती के प्रचार-प्रसार को भरपूर प्रोत्साहन दिया जा रहा है. बटन मशरूम की बीजाई के लियबीज या स्पान अच्छी भरोसेमंद दुकान से ही लेना चाहिए. बीज एक माह से अधिक पुराना भी नही होना चाहिए बीज की मात्रा कम्पोस्ट खाद के वजन के 2-2.5 प्रतिशत के बराबर लें. बीज को पेटी में भरी कम्पोस्ट पर बिखेर दें तथा उस पर 2 से तीन सेमी मोटी कम्पोस्ट की एक परत और चढ़ा दें. अथवा पहले पेटी में कम्पोस्ट की तीन इंच मोटी परत लगाऐं और उसपर बीज की आधी मात्रा बिखेर दे. उस पर फिर से तीन इंच मोटी कम्पोस्ट की परत बिछा दें और बाकी बचे बीज उस पर बिखेर दें. इस पर कम्पोस्ट की एक पतली परत और बिछा दें." बुवाई के बाद पेटी या थैलियों को वहां रख दें, इन पर पुराने अखबार बिछाकर पानी से भिगो दें. कमरे में पर्याप्त नमी बनाने के लिए कमरे के फर्श व दीवारों पर भी पानी छिड़कते रहें. इस समय कमरे का तापमान 22 से 26 डिग्री सेंन्टीग्रेड और नमी 80 से 85 प्रतिशत के बीच होनी चाहिए. अगले 15 से 20 दिनों में खुम्बी का कवक जाल पूरी तरह से कम्पोस्ट में फैल जाएगा. इन दिनों खुम्बी को ताजा हवा नही चाहिए इसलिए कमरे को बंद ही रखें ! 👉🏻दूधिया मशरूम की खेती की तैयारी मे इस किस्म को भूसा, पुआल, गन्ने की खोई आदी पर आसानी से उगाया जा सकता है. आपको एक बात का ध्यान रखना होता है कि यह बरसात में भिगा हुआ न हो, वरना पैदावार प्रभावित हो सकती है. दूधिया मशरूम को उगाने के लिए गेहूं का भूसा या धान के पुआल को सबसे उपयुक्त माना जाता है. इस्तेमाल से पहले भूसा या पुआल को उपचारित करना जरूरी है. भूसा या पुआल को काट कर आप जूट या कपड़े की छोटी थैलियों में भरकर गर्म पानी में कम से कम 12 से 16 घंटे तक घंटे तक डुबोकर रखते हैं ताकि भूसा या पुआळ पानी अच्छी तरह से सोंक ले, इसके बाद गर्म पानी में इसे डाल देते हैं भूसा डालने से पहले फर्श को धोकर या पॉलीथीन शीट बिछाकर 2 प्रतिशत फॉर्मलीन के घोल का छिड़काव किया जाता है आप रासायनिक तरीका भी अपना सकते हैं. ज्यादा मात्रा में भूसा को उपचारित करने पर गर्म पानी वाले विधि में खर्च ज्यादा आता है ! स्त्रोत:- Agrostar 👉🏻प्रिय किसान भाइयों दी गयी उपयोगी जानकारी को लाइक 👍 करें एवं अपने अन्य किसान मित्रों के साथ शेयर करें धन्यवाद!
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