कृषि वार्ताAgrostar
पशुओं मे समय से कराएं टीका
1.लम्पी त्वचा रोग:-
रोग के लक्षण- इस रोग में पशुओं के शरीर में मोटी गांठें निकल आती हैं. मवेशियों में होने वाला यह संक्रामक रोग वायरस के कारण होता है. इस वायरस का नाम नीथलिंग वायरस है. इसी वायरस के कारण पशुओं के पूरे शरीर में गाठें (छाले )पड़ जाती हैं.
2.मुंहपका-खुरपका रोग:-
यह रोग किसी भी जानवर को हो सकता है. यह रोग विषाणुओं के संक्रमण से होता है. पशु इस रोग से पीड़ित होने के बाद कई तरह की समस्याओं से ग्रसित हो जाता है.
3.मिल्क फीवर:-
यह रोग दूध देने वाले पशुओं में होता है जिसमें भी सबसे ज्यादा यह रोग गाय भैंस में होता है. यह रोग गाय या भैंस के ब्याने के कुछ घंटे बाद या कुछ दिन बाद होता है.
4.लंगड़ा बुखार:-
पशु को जब यह बुखार होता है तो पशुओं को 106 डिग्री से 108 डिग्री फारेनहाइट तक का बुखार आता है. पशुओं में यह रोग 6 माह से 2 वर्ष की आयु तक के पशुओं में ज्यादा होते हैं.
5.गलाघोंटू रोग:-
यह रोग गाय और भैंस में होने वाला रोग है. इस रोग के कारण बहुत से पशुओं की मौत हो जाती है. इस रोग के होने के 2 से 4 दिन के अंदर ही पशु की मृत्यु हो जाती है. यह रोग पशुओं में "पाश्चुरेला मल्टीसिडा" नमक जीवाणु से होता है. इसे छूत का रोग भी कहते हैं. इस रोग में पशु को तेज़ बुखार हो जाता है. उसका शरीर कांपने लगता है साथ ही पशु चारा पानी छोड़ देता है. पशु सुस्त अवस्था में पड़ा रहता है.
👉उपचार:-
यह सारी बेमारियाँ पशुओं मे खास कर मानशून आने से पहले देखी जाती है, पशुओं को समय पर टीका लगवाना चाहिए. साथ ही बीमार पशुओं को अन्य पशुओं से अलग रखना चाहिए. यदि कोई पशु मर गया हो तो स्वस्थ पशुओं को हटा कर पहले उस स्थान पर कीटनाशक दवा का छिड़काव करना चाहिए.
👉स्रोत:- Agrostar
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