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पपीता के प्रमुख रोग एवं उनका निदान
सलाहकार लेखएग्रोस्टार एग्रोनोमी सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस
पपीता के प्रमुख रोग एवं उनका निदान
पपीता, विश्व के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगाया जाने वाला महत्वपूर्ण फल है। यह केला के बाद प्रति ईकाई अधिकतम उत्पादन देने वाला और औषधीय गुणों से भरपूर फलदार पौधा है। वलय-चित्ती रोग (Ring spot disease): पौधों में यह रोग उसकी किसी भी अवस्था पर लग सकता है। इस रोग के लक्षण सबसे ऊपर की मुलायम पत्तियों पर दिखाई देते हैं। रोगी पत्तियां चितकबरी एवं आकार में छोटी हो जाती हैं। पत्तियों की सतह खुरदरी होती है तथा इन पर गहरे हरे रंग के फफोले से बन जाते हैं। पर्णवृत छोटा हो जाता है तथा पेड़ के ऊपर की पत्तियां खड़ी होती हैं। पौधों में नयी निकलने वाली पत्तियों पर पीला मोजेक तथा गहरे हरे रंग के क्षेत्र बनते हैं। रोग का कारण: यह रोग एक विषाणु द्वारा होता है जिसे पपीते का वलय चित्ती विषाणु (Ring spot virus) कहते हैं। यह विषाणु पपीते के पौधों में से अन्य पौधों में भी होने का डर रहता है और यह रोगवाहक कीटों द्वारा होता है जिनमें से माहू (ऐफिस गोसिपाई) रोगवाहक का काम करता है। मोजाइक (Mosaic) इस रोग का विशिष्ट लक्षण पत्तियों का हरित मोजाइक है, जिसमें पतियां विकृत वलय चित्ती रोग की भांति विकृत नहीं होती है। इसके शेष लक्षण पपीते के वलय चित्ती रोग के लक्षण से काफी मिलते जुलते हैं। यह रोग पपीता मोजेक विषाणु द्वारा होता है। रोग का फैलाव माहू द्वारा होता है।
रोग प्रबंध: विषाणु जनित रोगों की रोग प्रबंधन संबधित समुचित जानकारी अभी तक ज्ञात नहीं हुई है । अतः निम्नलिखित उपायों को अपनाकर रोग की तीव्रता को कम किया जा सकता है। • बागों की सफाई रखनी चाहिए तथा रोगी पौधे के अवशेषों को इकट्ठा करके नष्ट कर देना चाहिए। • नए बाग लगाने के लिए स्वस्थ्य तथा रोगरहित पौधे को चुनना चाहिए। • रोगग्रस्त पौधे किसी भी उपचार से स्वस्थ्य नहीं हो सकते हैं। अतः इनको उखाड़कर जला देना चाहिए, अन्यथा ये विषाणु का एक स्थायी स्रोत हमेशा ही बने रहते हैं और साथ-साथ अन्य पौधों पर रोग का प्रसार भी होता रहता है। • रोगवाहक कीटों की रोकथाम के लिए कीटनाशी दवा इमिडाक्लोप्रीड 17.8% एस एल 0.3 मिली प्रति लीटर पानी मे घोलकर 10-12 दिन के अंतर पर छिड़काव करना चाहिए । स्रोत - एस के त्यागी, वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र, खरगोन यदि आपको यह जानकारी उपयोगी लगे, तो फोटो के नीचे दिए पीले अंगूठे के निशान पर क्लिक करें और नीचे दिए विकल्पों के माध्यम से अपने सभी किसान मित्रों के साथ साझा करें।
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