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नारियल की खेती से मालामाल हो गया यह किसान, जानिए उनकी रोचक कहानी के बारे में…
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नारियल की खेती से मालामाल हो गया यह किसान, जानिए उनकी रोचक कहानी के बारे में…
👉कर्नाटक के मैसूर जिले के सिदप्पा नारियल की खेती में अपना अलग स्थान बना चुके हैं. सिदप्पा अपने खेतों में रागी, बाजरा और धान जैसे फसलों की खेती करते थे. इसमें पानी की अत्यधिक जरूरत होती थी. उनके क्षेत्र में पानी के सीमित स्रोत थे और सिंचाई में अधिक खर्च भी आता था. इस वजह से पारंपरिक फसल की खेती में लागत बढ़ते जा रहा था और मुनाफा काफी कम हो रहा था! 👉उन्होंने नारियल की खेती से सिर्फ धन ही नहीं, नाम भी खूब कमाया है. इलाके के किसानों के लिए वे प्रेरणा बन गए हैं. हालांकि स्थिति पहले ऐसी नहीं थी. वे भी आम किसानों की तरह पारंपरिक फसलों की खेती करते थे, लेकिन आमदनी न के बराबर थी.सिदप्पा ने कुछ अलग करने की ठानी. उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों से संपर्क किया और उनकी सलाह पर कम पानी में तैयार हो जाने वाली फसलों की खेती करने की सोची. जलवायु और मिट्टी की गुणवत्ता के आधार पर उन्होंने खेत में नारियल के पेड़ लगाए. शुरुआत काफी कम क्षेत्र से हुई! 👉मुनाफा होता देख सिदप्पा नारियल के पेड़ों की संख्या बढ़ाते गए. धीरे-धीरे कर के उन्होंने नारियल के काफी पेड़ लगा दिए. सिदप्पा ने अलग-अलग किस्मों के पेड़ लगाए ताकि पूरे साल भर फल मिलता रहे. उनका यह प्रयोग सफल रहा. अब उनके बागान से हर समय नारियल निकलता है.आसपास के शहरों में सिदप्पा नारियल भेजते हैं और अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. सिदप्पा बताते हैं कि अन्य खेतों में वे पारंपरिक फसल लगाते हैं, जिससे होने वाली आय से घर-परिवार का खर्च चलता है. नारियल से होने वाली कमाई वे बैंक में जमाकर देते हैं और मोटी रकम हो जाने पर नारियल की खेती के लिए जमीन खरीदते हैं. आज सिदप्पा के पास खेती के लिए अच्छी खासी जमीन है! 👉सिदप्पा बताते हैं कि शुरुआत में थोड़ी दिक्कत हुई लेकिन एक बार काम शुरू करने के बाद कफी पीछे मुड़ कर देखने की जरूरत नहीं पड़ी. अपनी मेहनत, लगन और कुछ हटकर करने की चाह के कारण वे एक अलग पहचान बना चुके हैं. आज सिदप्पा के पास दूर-दूर से किसान उनकी खेती के तरीके को समझने के लिए आते हैं. वे सबको प्रयोग करने और कड़ी मेहनत करने की सलाह देते हैं.सिदप्पा के क्षेत्र से रोजगार की तलाश में श्रमिक दूसरे इलाके में जाते थे. लेकिन आज सिदप्पा अपने क्षेत्र के श्रमिकों के लिए रोजगार का जरिया बन गए हैं. उनके खेतों में हर समय कोई न कोई काम चलते रहता है और श्रमिक अपने घर पर रहकर ही काम पा लेते हैं! स्त्रोत:- tv9 👉 प्रिय किसान भाइयों अपनाएं एग्रोस्टार का बेहतर कृषि ज्ञान और बने एक सफल किसान। दी गई जानकारी उपयोगी लगी, तो इसे लाइक 👍 करें एवं अपने अन्य किसान मित्रों के साथ शेयर करें धन्यवाद!
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