गुरु ज्ञानएग्रोस्टार एग्रोनोमी सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस
धान की फसल में फुदका कीटों का प्रबंधन
धान की फसल मुख्य रूप से हरा फुदका, धान का भूरा फुदका और धान का सफेद पीठ वाला फुदका से प्रभावित होती है। निम्फ और वयस्क पौधों से रस चूसते हैं और इनसे ग्रसित फसल (हॉपर बर्न) जली हुए प्रतीत होती हैं।
एकीकृत कीट प्रबंधन (आईपीएम) :
1. नाइट्रोजन की अधिकता कीट प्रकोप को बढ़ाती है, पर पोटास की उपलब्धता प्रकोप में कमी लाती है, अत: सन्तुलित उर्वरकों का ही प्रयोग करें।
2. जल्दी पकने वाली किस्मों को लगाना चाहिए।
3. खरपतवार रहित खेती विशेष रूप से मेड़ों की साफ सफाई इनके विस्तार में बाधक होती है।
4. मिट्टी में कार्बोफ्यूरान 3 जी @25 किग्रा या फिप्रोनिल 0.3 जीआर @20-25 किग्रा या क्लोरेंट्रानिलिप्रोएल 0.5% + थायमेथोक्जाम 1% जीआर @6 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से दें।
5. यदि दानेदार कीटनाशक का देना संभव नहीं है, तो एसिटामप्रिड 20 एसपी @4 ग्राम या क्लोथियनिडिन 50 डब्ल्यूजी @5 ग्राम या बुप्रोफेजिन 25 एससी @20 मिली या बुप्रोफेजिन 15% + एसेफेट 35% डब्ल्यूपी @25 ग्राम का प्रति प्रति 10 लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करें।
6. कीटनाशक का छिड़काव करते समय तने की ओर नोजल रखें।
7. ये छिड़काव धान में पत्ती लपेटक और तना छेदक को भी नियंत्रित करेगा।
8. संक्रमण की शुरुआत में केवल संक्रमित क्षेत्र पर कीटनाशक का छिड़काव करें।
डॉ. टी.एम. भरपोडा,_x000D_
एंटोमोलॉजी के पूर्व प्रोफेसर,_x000D_
बी ए कालेज ऑफ एग्रीकल्चर, आनंद कृषि विश्वविद्यालय, आनंद- 388 110 (गुजरात भारत)_x000D_
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