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धान की फसल में फाल्स स्मट रोग एवं उसका उपचार
सलाहकार लेखएग्रोस्टार एग्रोनोमी सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस
धान की फसल में फाल्स स्मट रोग एवं उसका उपचार
धान की फसल में इस रोग का प्रभाव अधिक दिखाई देता हैं यह रोग ओष्टिलेजिनांइडिया वाइरेन्स नामक कवक द्वारा फैलता है। मुख्य रूप से यह मृदा-जनित रोग है। इस रोग को कंड़वा रोग के नाम से भी जाना जाता है। हवा में इसके बीजाणु उड़कर स्वास्थ्य बालियों पर पहुंच जाते हैं। इस तरह से कंड़वा रोग धान की फसल में फैलता है। यही कारण है कि इन दिनों धान लगाने वाले किसान भी चिंतित होने लगे हैं। अधिक बारिश के कारण वातावरण में लगातार आद्रर्ता बनी हुई है। इसके चलते धान की फसल में मच्छर,शीत ब्लाईट और कंड़वा रोग की समस्या देखने को मिल रही है। इसका कारण अधिक वर्षा, नाईट्रोजन का अधिक उपयोग, बीजोपचार नहीं करने से प्रकोप अधिक होता है। इस रोग की शुरुआत में दानो पर पीले रंग के गोल गोल मखमली लक्षण दिखाई देते हैं। समय के साथ साथ ये काले पड़ने शुरू हो जाते है और धीरे धीरे पूरी बालियों पर इसका प्रकोप दिखाई देने लगता है। बाली के 3-4 दानों में कोयले जैसा कला पाउडर भरा होता है। जो दाने के फट जाने से बाहर दिखाई पड़ता है। यह मुख्यता वायु के द्वारा फैलता है। अधिक संक्रमण होने पर सारे दाने खराब हो जाते हैं।
नियंत्रण: 1. नाइट्रोजन युक्त उर्वरक के अधिक प्रयोग से बचना चाहिए। पोटाश उर्वरकों का उपयोग करें। 2. दो से तीन साल के लिए फसल चक्र अपनाएं। 3. गहरी जुताई से भूमि में गिरे कवक नष्ट हो जाते हैं। 4. संक्रमित दाने एवं पौधों को नष्ट कर देना चाहिए। 5. बाली निकलने की प्रारंभिक अवस्था में तथा 50 प्रतिशत पुष्पीकरण होने पर मेंकोजेब (डायथेन एम-45) का 2.0 ग्रा./ली. या प्रोपीकोनाजोल 1 एम.एल./ली. पानी की दर से दो बार छिड़काव करना चाहिये। 6. जिन किस्मों में रोग का प्रकोप अधिक होता है, उन्हें नहीं उगाना चाहिये। 7. कॉपर आक्सीकलोराइड @ 1.25 कि.ग्रा. प्रति हैक्टर का छिड़काव 50% बालियाँ आने पर छिड़काव करना चाहिए। 8. प्रोपेकोनोज़ोल 1 मिली प्रति लीटर या क्लोरोथोलोनिल 2 ग्राम प्रति लीटर की दर से फूल निकलने समय छिड़काव करना चाहिए। 9. कार्बेन्डाजिम 2-2.5 ग्राम/किलोग्राम बीज के साथ बीजोपचार करके लगाना चाहिए। स्रोत: एग्रोस्टार एग्रोनॉमी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस यदि आपको यह जानकारी उपयोगी लगे, तो फोटो के नीचे दिए पीले अंगूठे के निशान पर क्लिक करें और नीचे दिए विकल्पों के माध्यम से अपने सभी किसान मित्रों के साथ साझा करें।
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