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धान की फसल में जिंक का कितना है महत्त्व!
🌾पौधों के अच्छी बढ़वार और अधिक उत्पादन के लिए सूक्ष्म पोषक तत्त्व अत्यंत महत्वपूर्ण होते है। आमतौर पे सूक्ष्म पोषक तत्व पौधों के लिए कम मात्रा में आवश्यक होते है, लेकिन पौधे के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते है जिसमे जिंक सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण सूक्ष्म पोषक तत्त्व है, जिंक , पौधों के लिए आवश्यक 8 सूक्ष्म पोषक तत्वों में से एक है|
🌾जिंक पौधों में नाइट्रोजन स्थिरीकरण में मदद करता है जिससे पौधों में हरापन आता है
जिंक कार्बोहाइड्रेट्स के मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है जिससे पौधों को भोजन निर्माण में मदद मिलती है
जिंक धान में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है
🌾अत्यधिक अम्लीय मिट्टी या अधिक जलभराव वाले क्षेत्र की मिटटी में अत्यधिक लीचिंग के कारण मिटटी में जिंक की मात्रा बहुत कम हो हो जाती है।
🌾मिट्टी के पीएच मान में वृद्धि के साथ जिंक की उपलब्धता भी कम हो जाती है। ऐसा जिंक को ऊपर उठाने में मदद करने वाले खनिजों की घुलनशीलता कम होने से होता है । इसमें मिट्टी के खनिज जैसे लोहा और एल्यूमीनियम ऑक्साइड, कार्बनिक पदार्थ और कैल्शियम कार्बोनेट इत्यादि शामिल हैं।
🌾सीमित जड़ विकास के कारण , तापमान की तीव्रता में बढ़ोतरी होने पर भी मिटटी में जिंक की उपयोगिता कम हो जाती है। मिट्टी में फास्फोरस के उच्च स्तर होने से भी जिंक की उपयोगिता कम हो जाती है।
🌾धान में जिंक की कमी से खैरा रोग होता हैं | धान के फसल में विभिन्न प्रकार के होने वाले रोगों में से, खैरा रोग फसल के लिए सबसे नुकसानदायक होता है |
🌾खैरा रोग धान रोपने के बीस से पच्चीस दिनों के अंदर दिखने लगते हैं. इस रोग के लग जाने से पौधे के विकास से लेकर उसका पुष्पण,फलन व परागण प्रभावित हो जाता है पोधों में दाने नहीं बनते और उपज में भी लगभग 25-30 प्रतिशत की हानि हो जाती है | इसलिए समय रहते इसका निवारण करना आवश्यक होता है.
🌾स्रोत:-AgroStar
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