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धान की फसल में एकीकृत कीट प्रबंधन!
सलाहकार लेखकृषि विभाग उत्तर प्रदेश
धान की फसल में एकीकृत कीट प्रबंधन!
शस्य क्रियायेः_x000D_ गर्मी की मिट्टी पलट हल से गहरी जुताई करने से भूमि में कीटों की विभिन्न अवस्थायें जैसे- अण्डा, सूड़ी, शंखी एवं प्रौढ़ अवस्थायें नष्ट हो जाती हैं तथा चिडिया भी कीटों को चुगकर खा जाती हैं। इसके अतिरिक्त भूमि जनित रोगों यथा-उकठा, जड़ सड़न, डैम्पिंग आफ, कालर राट, आदि भी सूर्य के प्रकाश में नष्ट हो जाते हैं। _x000D_ इसी प्रकार खरपतवारों के बीज भी मिट्टी में नीचे दब जाते हैं, जिससे खरपतवारों को जमाव बहुत ही कम हो जाता है। स्वस्थ एवं रोगरोधी प्रजातियों की बुवाई/रोपाई करना चाहिए।_x000D_ बीज शोधन कर समय से बुवाई/रोपाई के साथ-साथ फसल चक्र अपनाना चाहिए।_x000D_ नर्सरी समय से उठी हुई क्यारियों पर लगाना चाहिए।_x000D_ पौधों से पौधों और लाइन से लाइन के बीच वॉछित दूरी रखना चाहिए।_x000D_ उर्वरकों की संस्तुत मात्रा का प्रयोग करना चाहिए।_x000D_ खेत के मेड़ों को घासमुक्त एवं साफ सुथरा रखना चाहिए।_x000D_ जल निकास का समुचित प्रबंध करना चाहिए।_x000D_ कटाई जमीन की सतह से करना चाहिए।_x000D_ फसलों के अवशेषों को नष्ट कर देना चाहिए।_x000D_ _x000D_ यांत्रिक नियंत्रणः_x000D_ धान के पौधे की चोटी काटकर रोपाई करना चाहिए।_x000D_ खेतों से अण्डों व सड़ियों को यथा सम्भव एकत्र करके नष्ट कर देना चाहिए।_x000D_ कीट एवं रोग ग्रसित पौधों की पत्तियां अथवा आवश्यकतानुसार पूरा पौधा उखाड़ कर नष्ट कर देना चाहिए।_x000D_ खरपतवारों को निराई-गुड़ाई द्वारा खेत से निकाल देना चाहिए।_x000D_ हिस्पा ग्रसित पौधों की पत्तियों का उपरी हिस्सा काट देना चाहिए।_x000D_ खेतों में प्रकाश-प्रपंच का प्रयोग कर हानिकारक कीटों को नष्ट कर देना चाहिए।_x000D_ तना बेधक कीट के आंकलन एवं नियंत्रण हेतु फेरोमोन प्रपंच का प्रयोग करना चाहिए।_x000D_ _x000D_ जैविक नियंत्रणः_x000D_ खेत में मौजूद परभक्षी यथा मकड़ियॉ, वाटर वग, मिरिड वग, ड्रेगन फ्लाई, मिडो ग्रासहा पर आदि एवं परजीवी यथा ट्राइकोग्रामा (बायो एजेण्ट्स) कीटों का संरक्षण करना चाहिए।_x000D_ परजीवी कीटों को प्रयोगशाला में सवंर्धित कर खेतों में छोड़ना चाहिए।_x000D_ शत्रु एवं मित्र (2:1) कीटों का अनुपात बनाये रखना चाहिए।_x000D_ आवश्यकतानुसार बायोपेस्टीसाइड्स का प्रयोग करना चाहिए।_x000D_ _x000D_ रासायनिक नियंत्रणः_x000D_ कीट एवं रोग नियंत्रण हेतु कीटनाशी रसायनों का प्रयोग अंतिम उपाय के रूप में करना चाहिए।_x000D_ सुरक्षित एवं संस्तुत रसायनों को उचित समय पर निर्धारित मात्रा में प्रयोग करना चाहिए।_x000D_ रसायनों का प्रयोग करते समय सावधानियॉ अवश्य बरतनी चाहिए।_x000D_ खरपतवार नाशकों का प्रयोग दिशा-निर्देशों के अनुसार ही करना चाहिए।_x000D_ धान की फसल की कटाई 90 प्रतिशत परिपक्वता पर की जाय।
स्रोत:- कृषि विभाग, उत्तर प्रदेश_x000D_ यदि आपको दी गई जानकारी उपयोगी लगे, तो लाइक करें और अपने अन्य किसान मित्रों के साथ शेयर करें।
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