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देशी बाजरे की बुआई के लिए कारगर साबित होगी जून के पहले पखवाड़े में मानसून पूर्व की बारिश
कृषि वार्तादैनिक भास्कर
देशी बाजरे की बुआई के लिए कारगर साबित होगी जून के पहले पखवाड़े में मानसून पूर्व की बारिश
जून के पहले पखवाड़े में मानसून पूर्व की अच्छी बारिश हो, तो खरीफ की खेती में किसान लंबी अवधि में पकाव वाली फसलों की देशी किस्मों का अच्छा उत्पादन ले सकते हैं। इसके लिए किसानों को बारिश से पहले ही खेतों की जुताई करनी होगी। साथ ही 20 से 25 एमएम बारिश बारिश होते ही बाजरा, मूंगफली, ग्वार व मूंग की अगेती बुआई करनी होगी। प्रदेशभर में आजकल 30 जून तक मूंगफली की बुआई का दौर चल रहा है। देशी बाजरे की बुआई के लिए भी 15 से 30 जून तक की अवधि को उपयुक्त माना गया है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, खरीफ सीजन में देशी बाजरा, ग्वार व मूंगफली आदि फसलों की अगेती बुआई कर अच्छी पैदावार ले सकते हैं। मानसून पूर्व की बारिश में बुआई के बाद खेतों में अंकुरित हुई फसलों के लिए मानसून भी कारगर साबित होगा। अगेती बुआई में किसानों के लिए 85 से 90 दिन में तैयार होने वाली देशी किस्मों के बीज का उपयोग ही फायदेमंद रहेगा। प्रदेशभर में जून के प्रथम सप्ताह में अांधी-बारिश का दौर चला। कृषि विभाग के अनुसार कई जिलों में अच्छी बारिश के बाद किसानों ने लंबी अवधि में पकाव वाली मूंगफली व बाजरे की अगेती किस्मों की बुआई भी शुरू कर दी है।
देशी बाजरे की बुआई के लिए ठीक रहा मई-जून का 45 डिग्री पारा 5 साल में पहली बार प्रदेशभर में 40 से 45 डिग्री के बीच रहा मई-जून का तापमान बाजरा समेत अगेती बुआई वाली सभी फसलों की बुआई के लिए बेहतर माना गया है, क्योंकि लंबे समय तक जमीन में भारी तपन रहने से कीट-पतंगे नष्ट हो जाते हैं। ऐसे में अगेती बुआई वाली फसलों में अच्छी बढ़वार आएगी। खरपतवार का दबाव भी कम रहेगा : कृषि अनुसंधान अधिकारी हरदेवसिंह बाजिया के अनुसार, मानसून पूर्व की पहली बारिश में खेतों में फसलों की बुआई करने से खरपतवार की समस्या भी नहीं रहेगी। इससे किसानों को अच्छी पैदावार भी मिल सकती है, क्योंकि खरपतवार से पहले ही फसलों में बढ़वार आ जाएगी। इस कारण खरपतवार ठीक से पनप नहीं पाएगी। सन्दर्भ – दैनिक भास्कर १२ जून १८
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