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ढीला कंडुआ रोग का नियंत्रण!
✅क्या आप भी गेहूँ के ढीला कंडुआ रोग से है परेशांन ??? तो चलिए जानते है इसके लक्षण और रोकथाम के बारे में।
1️⃣ लक्षण :-
◆ ढीला कंडुआ रोग एक बीज जनित कवक रोग है।
◆ यह यूस्टिलैगो ट्रिटिसी नामक कवक के कारण होता है।
◆ पौधों में बालियां निकलने के बाद ही दिखाई देते हैं।
◆ प्रभावित पौधों की बालियों में दानों के स्थान पर काला पाउडर बन जाता है।
◆ कुछ समय बाद पूरी बालियां नष्ट हो जाती है।
◆ यह पाउडर हवा के द्वारा अन्य बालियों तक पहुंच जाता है और उनके दानों को भी संक्रमित कर देता है और जब इन बालियों के बीज बोए जाते हैं तो पौधे पर फिर से काले पाउडर वाली बालियां बन जाती हैं।
◆इसलिए ये बीज स्वस्थ दिखते हैं लेकिन संक्रमित होते हैं।
2️⃣ रोकथाम/नियंत्रण :-
◆ रोगग्रस्त पौधों को बहुत सावधानी से उखाड़कर पॉलिथीन की थैलियों में बंद करके मिट्टी में दबा देना चाहिए या जला देना चाहिए।
◆ स्वस्थ एवं प्रमाणित बीज ही बोना चाहिए।
◆ बीजों को वीटावैक्स (कार्बोक्सिन 37.5% + थीरम 37.5%) या कार्बेन्डाजिम 50% WP @ 2.5-3 ग्राम/किग्रा बीज से उपचारित करके बोना चाहिए।
◆ बीजों को 4 घंटे तक पानी में भिगोकर मई-जून माह में तेज धूप में सुखाकर अगले वर्ष बोने के लिए भंडारित कर लें।
✅ स्त्रोत:- AgroStar
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