सलाहकार लेखमध्य प्रदेश कृषि विभाग
टमाटर में एकीकृत कीट एवं रोग प्रबंधन!
👉🏻किसान भाइयों टमाटर की फसल में कई प्रकार के कीट एवं रोगों का प्रकोप ज्यादातर देखा जाता है। इसके लिए एकीकृत कीट एवं रोग प्रबंधन प्रणाली अपनाकर लगभग सभी प्रकार के कीट एवं रोगों पर नियंत्रण पाया जा सकता है। इसके निम्नलिखित पहलुओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
1. गर्मीयो मे खेत की गहरी जुताई करे।
2. पौधशाला की क्यारियो भूमि धरातल से ऊची रखें एवं फोर्मेल्डिहाइड द्वारा स्टेरीलाइज़ेशन कर ले
3. क्यारियो को मार्च अप्रेल माह मे पोलिथिन शीट से ढके भू-तपन के लिए मृदा मे पर्याप्त नमी होनी चाहिए।
4. गोबर की खाद मे ट्राइकोडर्मा मिलाकर क्यारी मे मिट्टी मे अच्छी तरह से मिला देना चाहिए।
5. पौधशाला की मिट्टी को कॉपर ऑक्सीक्लोराइड के घोल से बुवाई के 2-3 सप्ताह बाद छिडकाव करे।
6. पौध रोपण के समय पौध की जडो को कार्बेन्डाजिम या ट्राइकोडर्मा के घोल मे 10 मिनट तक डुबो कर रखे।
7. पौध रोपण के 15-20 दिन के अंतराल पर चेपा, सफेद मक्खी एवं थ्रिप्स के लिए 2 से 3 छिडकाव इमीडाक्लोप्रिड या एसीफेट के करे । माइट की उपस्थिती होने पर ओमाइट का छिडकाव करे।
8. फल भेदक इल्ली एवं तम्बाकू की इल्ली के लिए इन्डोक्साकार्ब या प्रोफेनोफॉस का छिडकाव ब्याधि के उपचार के लिए बीजोपचार, कार्बेन्डाजिम या मेन्कोजेब से करना चाहिए। खडी फसल मे रोग के लक्षण पाये जाने पर मेटालेक्सिल + मैन्कोजेब या ब्लाईटोक्स का घोल बनाकर छिडकाव करे। चूर्णी फफूंद होने सल्फर घोल का छिडकाव करे।
स्रोत:- मध्य प्रदेश कृषि विभाग,
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