कृषि वार्ताAgrostar
झूम खेती है कमाल की !
👉भारत के कई हिस्सें ऐसे हैं जहां के किसान अभी भी झूम खेती करते हैं. लेकिन शायद बहुत कम लोगों ने झूम खेती का नाम सुना होगा. तो चलिए इस लेख में झूम खेती से जुड़ी हर एक जानकारी आपको देते हैं.
जैसा की भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहां की लगभग आधी आबादी इसी पर निर्भर है.इसलिए भारत में कृषि क्षेत्र में लगातार प्रयोग किए जाते रहे हैं. पुराने समय में कृषि यानी खेती-बाड़ी कई अलग-अलग तरीकों व पद्धतियों को अपनाकर की जाती थी. उनमें से आज भी कई ऐसी पद्धतियां हैं जिसे किसानों द्वारा कृषि में अपनाया जाता है. इन्हीं में से एक झूम कृषि भी है. झूम कृषि पुरानी कृषि का एक प्रकार है. कृषि के इसी प्रकार व तरीके के बारे में हम आज इस लेख में जानेंगे.
👉झूम कृषि क्या है?
जब मानव आदिम अवस्था था...उसकी आबादी उतनी नहीं थी और प्रकृति पर इतना ज्यादा भार नहीं था तब खेती के इस तरीके को अपनाया जाता था. इसमें जंगल के छोटे-छोटे जगह को साफ़ कर या जलाकर उपजाऊ भूमि बनाया जाता है, और वहाँ खेती की जाती है।
👉झूम खेती को आसान भाषा में समझें:-
अगर दूसरे भाषा में समझें तो खेती के इस तरीके में जंगलों के वृक्षों और वनस्पतियों को काटकर, जलाकर खेत व क्यारियां बनाई जाती हैं और साफ की गई भूमि को पुराने कृषि उपकरणों (हाथ के औजारों) की सहायता से जुताई करके फसल व बीज बोई जाती है. ये फसलें पूर्ण रूप से प्रकृति पर निर्भर होती हैं. इसमें किसी भी तरीके का कोई भी खाद इस्तेमाल नहीं किया जाता है. इससे फसलों से उत्पादन बेहद कम होता है. इस भूमि को 2-3 साल बाद जब जमीन की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है तब इसे छोड़ दिया जाता है, इसके बाद ऐसी भूमि पर फिर से धीरे-धीरे घास और अवांछित वनस्पतियां उग जाती हैं और फिर से जंगल बन जाता है.
👉झूम कृषि के अनेकों नाम:-
फसल स्थानांतरण से इस तरीके को असम में झूम खेती, ओडिशा और आंध्र प्रदेश में पोडू, मध्य प्रदेश में बेवर और केरल में पोनम के नाम से जाना जाता है. इस खेती को अल्पीकरण भी कहा जाता है. चूंकि झूम खेती में जगलों में आग लगाकर खेत बनाई जाती है इसलिए इस खेती की प्रक्रिया को बर्न खेती भी कहा जाता हैं.
👉झूम खेती आदिवासियों के लिए वरदान:-
जैसा की जानते हैं कि आदिवासी लोग जंगलों में रहते हैं. इसलिए इस खेती के तरीके को सबसे ज्यादा आदिवासियों द्वारा ही अपनाया जाता है. आदिवासी समुदाय के लोग जंगलों को साफ करके खेती करते है और कुछ सालों बाद उस जगह को छोड़कर वहां से दूसरी जगह चले जाते है, फिर वहां पर भी यही प्रक्रिया दोहराते हैं.
👉स्त्रोत:-Agrostar
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