जैविक खेतीकृषि जीवन
जैविक खेती के लिए बीज उपचार की पद्धति
बीजोपचार:
जैविक कृषि के अन्तर्गत बीज को जैव - उर्वरकों के द्वारा उपचारित करें। नाइट्रोजन जीवाणु खाद के लिए दलहनी फसलो जैसे : मूंग, उड़द, ग्वार, चना, मोठ इत्यादि को राइजोबियम कल्चर से तथा अनाज वाली फसलों को एजेक्टोबेक्टर/ एजोस्पाइरिलम कल्चर से उपचारित करें। मृदा मे उपस्थित फॉस्फोरस को फसलों को उपलब्ध कराने के लिए पी एस बी कल्चर का उपयोग करें। प्रति हेक्टेयर 3 पैकेट कल्चर का उपयोग करें। 1 - 2 लीटर पानी मे 200 - 300 ग्राम गुड़ मिलाकर गर्म करके घोल बनाये तथा उसमे 3 पैकेट कल्चर डालें। तैयार घोल के ठंडा होने पर बीजों पर छिड़काव करके हल्के से मिलाएं फिर छाया मे सुखा लेना चाहिये।
भूमि उपचार - बुवाई पूर्व आखिरी जुताई से पहले ट्राईकोडर्मा संवर्धन को भूमि मे मिलायें। इसके लिए 2.5 किलो ट्राईकोडर्मा पाउडर को 500 किलो गोबर की खाद में मिलाकर 10 -15 दिनों के लिए छाया मे रख दें। बुवाई के समय तैयार इस खाद को एक हेक्टेयर भूमि मे मिलाकर बुवाई करें। दीमक की रोकथाम के लिए अंतिम जुताई के समय 125 किग्रा अरण्डी की खली अथवा 150 किग्रा नीम के खली प्रति बीघा के दर से प्रयोग करें अरण्डी की खली खेत मे सीधी डालने पर देर से विघटित होती है अत: इसे खेत मे डालने से आधा घंटे पूर्व पानी से गीला कर लें तथा इसके बाद पैरो या सख्त वस्तु से रगड़ कर पाउडर रूप मे खेत मे डालें।
स्रोत:- कृषि जीवन
यदि आपको यह जानकारी उपयोगी लगे तो लाइक करें और अपने किसान मित्रों के साथ साझा करें।