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जुलाई महीने में फफूँदो से बचाव!
कृषि वार्ताAgrostar
जुलाई महीने में फफूँदो से बचाव!
🌱जुलाई महीना खेती के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. इसके अलावा, कीटनाशकों और खेती के प्रबंधन के लिए भी यह महीना बेहद खास होता है. हालांकि, इस महीने में कीट और कीटाणुओं का प्रबंधन करना भी जरूरी होता है. दरअसल, जुलाई में बारिश और तापमान के साथ फसलों में बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है. ऐसे में आज हम जुलाई के दौरान फसलों में लगने वाले आम रोग के बारे में बताने जा रहे हैं. 🌱पाउडरी मिल्ड्यू :- जुलाई महीने में पाउडरी मिल्ड्यू नाम का एक रोग फसलों में आम होता है. यह एक कवक रोग है जो खीरे, स्क्वैश, टमाटर, अंगूर और गुलाब सहित कई प्रकार की फसलों को प्रभावित करता है. यह पौधों की पत्तियों, तनों और फलों पर सफेद कोटिंग के रूप में दिखाई देता है. इससे पौधों का विकास रुक जाता है और उपज कम हो जाती है. 🌱लेट ब्लाइट:- लेट ब्लाइट एक विनाशकारी कवक रोग है. जो मुख्य रूप से टमाटर और आलू को प्रभावित करता है. यह आर्द्र परिस्थितियों में पनपता है और तेजी से फैल सकता है, जिससे पत्तियों, तनों और फलों पर भूरे रंग के घाव हो जाते हैं. संक्रमित पौधे एक खास तरह की पानी से लथपथ दिखाई देते हैं. 🌱जंग :- जंग एक कवक रोग है जो गेहूं, मक्का, सोयाबीन और फलियों सहित विभिन्न फसलों को प्रभावित करता है. यह पत्तियों, तनों और कभी-कभी फलों पर नारंगी या लाल-भूरे रंग की फुंसियों के रूप में दिखाई देता है. जंग पौधों को कमजोर कर सकती है और प्रकाश संश्लेषण को कम कर सकती है, जिससे अंततः पैदावार कम हो सकती है. 🌱डाउनी मिल्ड्यू :- डाउनी मिल्ड्यू कई प्रकार की फसलों को प्रभावित करती है, जिनमें खीरा, सलाद, पालक, अंगूर और विभिन्न अन्य पत्तेदार सब्जियां शामिल हैं. यह ठंडे मौसम में पनपती है और पत्तियों की ऊपरी सतह पर पीले धब्बों के रूप में दिखाई देती है. इस रोग के कारण पत्तियां मुरझा सकती हैं, पीली पड़ सकती हैं और पत्तियां समय से पहले गिर सकती हैं. 🌱फ्यूसेरियम विल्ट :- फ्यूसेरियम विल्ट एक मिट्टी-जनित कवक रोग है जो टमाटर, आलू, खीरे और खरबूजे सहित कई फसलों को प्रभावित करता है. यह पत्तियों के मुरझाने, पीले पड़ने और भूरे होने का कारण बनता है. अंततः इससे पौधे खराब हो जाते हैं. 🌱बैक्टीरियल लीफ स्पॉट :- बैक्टीरियल लीफ स्पॉट टमाटर, मिर्च, सलाद और बीन्स सहित विभिन्न पौधों को प्रभावित करता है. यह पत्तियों पर छोटे व गहरे घावों के रूप में दिखाई देता है. जो आपस में जुड़ सकते हैं. यह रोग पत्तियों के झड़ने का कारण बन सकते हैं. इस बीमारी से फल की गुणवत्ता व पैदावार में कमी आ सकती है. 🌱ऐसे करें फसलों का बचाव *फसलों के आस-पास स्वच्छता बनाए रखें. अवशेषों, बचे हुए पौधों और अविष्कारों को नष्ट करें, क्योंकि ये संक्रमण को बढ़ा सकते हैं. अपनी कृषि औजारों को साफ रखने के साथ संक्रमण मुक्त रखें. *जलवायु और मौसम की विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए फसल के लिए उचित जलवायु चयन करें. मिट्टी में नमी बनाए रखने के लिए सिंचाई और ड्रेनेज को उचित ढंग से प्रबंधित करें. *फसलों को उचित पोषण प्रदान करने के लिए सही मात्रा में खाद दें. इससे फसलें स्वस्थ बनी रहेंगी और साथ ही संक्रमण का खतरा भी कम रहेगा. *फसलों के नियंत्रण के लिए नियमित रूप से संक्रमण की जांच करें. पत्तों, फलों और मूलों पर दागों, कीटाणुओं या अन्य लक्षणों को ध्यान से देखें. यदि कोई संकेत मिलता है, तो उसका प्रबंधन करें. 🌱रासायनिक विधि :- उपरोक्त सभी जैसे की पाउडरी मिल्ड्यू,लेट ब्लाइट,जंग,डाउनी मिल्ड्यू,फ्यूसेरियम विल्ट,बैक्टीरियल लीफ स्पॉट ये सभी संक्रमण के प्रबंधन के लिए एग्रोस्टार का मैंडोज़ जिसमे (मैंकोज़ेब 63% + कार्बेन्डाजिम 12% WP) पाया जाता है जिसका इस्तेमाल 500 ग्राम /एकर 200 लिटर पानी में घोलकर इस्तेमाल करे. 🌱स्रोत:-Agrostar India किसान भाइयों ये जानकारी आपको कैसी लगी? हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं और लाइक एवं शेयर करें धन्यवाद!
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