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जीरे में झुलसा रोग का प्रबंधन
गुरु ज्ञानएग्रोस्टार एग्रोनोमी सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस
जीरे में झुलसा रोग का प्रबंधन
राजस्थान और गुजरात में बड़े पैमाने पर जीरे की खेती जाती है। यदि किसान शुरूआत में ही झुलसा रोग को रोकने के लिए उचित कदम नहीं उठाते तो 3 से 4 दिन में पूरी फसल रोगग्रस्त हो जाती है और पूरी फसल खराब होने की संभावना रहती है। यह रोग 30-35 दिनों में शुरू होता है। प्रारंभ में, पत्तियों और शाखाओं पर भूरे रंग के छोटे बिंदू जैसे दाग पाए जाते हैं और समय के साथ पूरे पौधे का रंग भूरा हो जाता है।
प्रबंधन: • बुवाई के समय थायरम या मैनकोजेब के साथ बीजोपचार करें। • नियमित रूप से फसल चक्र का पालन करें। • जिन खेतों में पानी की फसलों की अधिक बुवाई हुई होती है जैसे लहसून, सरसों, गेहूं आदि के पास जीरा की फसल न लें। • खेत में बीजों को फैलाने के बजाए फरो बुआई (30 सेमी) का पालन करें। • पौधा लगाने वाली मेढ़ को छोटा और थोड़ा ऊंचा रखें। • बादल और ओस वाले दिनों के दौरान सिंचाई से बचें। • अत्यधिक नाइट्रोजन वाले उर्वरकों का उपयोग न करें। • यदि संभव हो तो, FYM का अधिक उपयोग करें। • मैनकोजेब 35 एससी @ 27 ग्राम या कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63 डब्ल्यूपी (छः/साफ़) 15 ग्राम या एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 23 एससी @ 7 मिली जैसे अनुशंसित कवक के साथ 30-40 दिनों की फ़सल पर स्प्रे करें। या टेबुकोनाजोल 10% + सल्फर 65% डब्ल्यूजी @ 30 प्रति 10 लीटर पानी। प्रत्येक छिड़काव पर कवकनाशी बदलें। डॉ. टी.एम. भरपोडा, एंटोमोलॉजी के पूर्व प्रोफेसर, बी ए कालेज ऑफ एग्रीकल्चर, आनंद कृषि विश्वविद्यालय, आनंद- 388 110 (गुजरात भारत)
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