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जीरे की खेती के लिए उन्नत किस्मों का चयन!
सलाहकार लेखदैनिक जाग्रति
जीरे की खेती के लिए उन्नत किस्मों का चयन!
किसान भाइयों जीरा की अच्छी और अधिक पैदावार लेने के लिए किस्मों का चयन बहुत अधिक महत्पूर्ण हैं। अवनी -111:- अवधि 110 - 115 दिन, पौधे की ऊँचाई 26 - 30, पौधों की प्रवर्ति घाना, पौधों में शाखाओं की संख्या 7 - 9, पौधे की संख्या 38 - 42, रोग प्रतिरोध उकठा और अल्टरनेरिया ब्लाइट के लिए। वेस्टर्न C-60:- बुवाई के 60 दिन बाद से 50% फूल। परिपक्वता दिवस: 105-115 दिन। अन्य मौजूदा किस्मों की तुलना में अत्यधिक ब्लाइट प्रतिरोधी। मृदा जनित रोग और चूसने वाले कीटों के लिए प्रतिरोधी। शाखाओं और उप-शाखाओं की संख्या अधिक है, अधिक उत्पादक शाखाएं, इसलिए अधिक बीज उपज। उच्च गुणवत्ता वाले बीजों को इमीडा पॉलीमर कोटिंग के साथ इलाज किया जाता है, उच्च व्यवहार्यता जिससे कम बीज दर की आवश्यकता होती है, इसलिए उत्पादन लागत में कमी आती है। स्थानीय किस्मों की तुलना में 15 से 20% अधिक उत्पादन। निर्यात उद्देश्य के लिए उत्कृष्ट, क्योंकि इसमें उच्च तेल सामग्री होती है। आर एस-1:- राजस्थान के लिए उपयुक्त, बड़े एवं रोयेदार बीज वाली यह किस्म 80 से 90 दिनों में परिपक्व हो जाती है। इसकी पैदावार 6 से 8 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है। यह किस्म उखठा रोग के प्रति प्रतिरोधी पायी गयी है। एम सी- 43:- इस किस्म का विकास मसाला अनुसंधान केन्द्र, जगुदान (गुजरात) द्वारा किया गया है। यह किस्म 90 से 105 दिनों में परिपक्व हो जाती है। इसकी उपज 7 से 8 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक है। आर जेड-19:- यह किस्म राजस्थान के सभी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। इसका तना सीधा होता है व इस पर गुलाबी रंग के फूल व रोमिल दाने आते हैं। यह किस्म 120 से 140 दिन में पक कर तैयार होती है तथा इस किस्म की पैदावार 8 से 10 क्विंटल प्रति हैक्टेयर दर्ज की गयी है। आर जेड- 209:- उखठा रोग के प्रति सहनशील इस किस्म का विकास राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के श्री करण नरेन्द्र कृषि महाविद्यालय, जोबनेर द्वारा किया गया है। यह किस्म राजस्थान के लिए उपयुक्त है तथा लगभग 140 से 150 दिनों में पक जाती है। जिसकी पैदावार लगभग 6 से 7 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है। जी सी- 1:- यह किस्म उखठा रोग के प्रति सहनशील है। इस किस्म के पौधे सीधे, गुलाबी फूलों वाले व भूरे मोटे बीज वाले होते हैं। यह किस्म 105 से 110 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इसकी औसत पैदावार 7 क्विंटल प्रति हैक्टेयर पायी गयी है। जी सी- 2:- गुजरात के लिए उपयुक्त इस किस्म का विकास मसाला अनुसंधान केन्द्र जगदान (गुजरात) द्वारा किया गया है। यह किस्म लगभग 100 दिनों मे पक कर तैयार हो जाती है जो लगभग 7 क्विंटल प्रति हैक्टेयर की पैदावार देती है। जी सी- 3:- उखठा रोग सहने की क्षमता वाली इस किस्म का विकास मसाला अनुसंधान केन्द्र, जगुदान (गुजरात) द्वारा किया गया है। लगभग 7 क्विंटल प्रति हैक्टेयर की उपज देने वाली यह किस्म 100 दिन में पक कर तैयार हो जाती है। जी सी- 4:- उखठा रोग के लिए प्रतिरोधी इस किस्म का विकास मसाला अनुसंधान केन्द्र, जगुदान (गुजरात) ने गुजरात जीरा- 3 (जी सी- 3) की पंक्ति चयन द्वारा किया गया है। यह किस्म 115 से 120 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। जिसकी पैदावार लगभग 12 क्विंटल प्रति हैक्टेयर दर्ज की गयी है।
स्रोत:- दैनिक जाग्रति, प्रिय किसान भाइयों दी गई जानकारी उपयोगी लगी, तो इसे लाइक 👍 करें एवं अपने अन्य किसान मित्रों के साथ शेयर करें धन्यवाद!
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