सलाहकार लेखकिसान कल्याण एवं कृषि विभाग मध्यप्रदेश
जानिये, कैसे करें गन्ने की फसल में एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन!
👉🏻खाद एवं उर्वरक:- फसल के पकने की अवधि लम्बी होने कारण खाद एवं उर्वरक की आवश्यकता भी अधिक होती है अतः खेत की अंतिम जुताई से पूर्व 20 टन सड़ी गोबर/कम्पोस्ट खाद खेत में समान रूप से मिलाना चाहिए। इसके अतिरिक्त 300 किलो नत्रजन, 85 कि.ग्रा. स्फुर,एवं 60 कि. पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए। स्फुर एवं पोटाश की पूरी मात्रा बुवाई के समय प्रयोग करें एवं नत्रजन की मात्रा को निम्नानुसार प्रयोग करें।
👉🏻शरदकालीन गन्ना:- शरदकालीन गन्ने में ऩत्रजन की कुल मात्रा को चार समान भागों में विभक्त कर बोनी के क्रमशः 30, 90, 120एवं 150 दिन में प्रयोग करें।
👉🏻बसन्तकालीन गन्ना:- बसन्तकालीन गन्ने में नत्रजन की कुल मात्रा को तीन समान भागों में विभक्त कर बोनी क्रमशः 30, 90 एवं 120 दिन में प्रयोग करें।
👉🏻नत्रजन उर्वरक के साथ नीमखली के चूर्ण में मिलाकर प्रयोग करने में नत्रजन उर्वरक की उपयोगिता बढ़ती है साथ ही दीमक से भी सुरक्षा मिलती है। 25 कि.ग्रा. जिंक सल्फेट व 50 कि.ग्रा. फेरस सल्फेट 3 वर्ष के अंतराल में जिंक व आयरन सूक्ष्म तत्व की पूर्ति के लिए आधार खाद के रूप में बुवाई के समय उपयोग करें।
विशेष सुझाव:-
👉🏻मृदा परीक्षण के आधार पर ही आवष्यक तत्वों की अपूर्ति करें।
👉🏻स्फुर तत्व की पूर्ति सिंगल सु.फा.फे. उर्वरक के द्वारा करने पर 12 प्रतिषत गंधक तत्व (60 कि.ग्रा./हे.) अपने आप उपलब्ध हो जाता है।
👉🏻जैव उर्वरकों की अनुषंसित मात्रा को 150 कि.ग्रा. वर्मी कम्पोस्ट या गोबर खाद के साथ मिश्रित कर 1-2 दिन नम कर बुवाई पूर्व कुड़ों में या प्रथम मिट्टी चढ़ाने के पूर्व उपयोग करें। जैव उर्वरकों के उपयोग से 20 प्रतिषत नत्रजन व 25 प्रतिषत स्फुर तत्व की आपूर्ति होने के कारण रसायनिक उर्वरकों के उपयोग में तद्नुसार कटौती करें।
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स्रोत:- किसान कल्याण एवं कृषि विभाग मध्यप्रदेश,
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