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जानिये, एक ऐसा पौधा जो किसानों के लिए हैं हरा सोना!
👉🏻मेैक्सिको के रेगिस्तान में उगने वाला यह पौधा काफी काम का है। इससे इतनी ज्यादा कमाई होती है कि लोग रेगिस्तान का हरा सोना कहते हैं।
👉🏻अगर आपसे कहा जाए कि एक ऐसा पौधा है, जो फल तो देता ही है, उससे चिप्स, लजीज शेक और जैव ईंधन तक बनता है तो शायद आपको विश्वास न हो। इसी के साथ यह भी जोड़ दिया जाए कि यह पौधा रेगिस्तान में उगता है तो आप बिल्कुल भी यकीन न करें। जी हां, आपने जो ऊपर पढ़ा, वैसा एक पौधा है और इसकी खेती ने किसानों की जिंगदी बदल दी है। साथ ही एक देश में तेल के मजबूत विकल्प के रूप में उभरा है।
👉🏻मेैक्सिको के रेगिस्तान में उगने वाला यह पौधा काफी काम है। इससे इतनी ज्यादा कमाई होती है कि लोग रेगिस्तान का हरा सोना कहते हैं। यह पौधा बंजर जमीन को तो खूबसूरत कर ही देता है। इससे चिप्स भी बनते हैं. लोग इसे सलाद में खाते हैं और लोग लजीज शेक बनाकर भी पीते हैं। इस पौधे का नाम है नोपल।
मैक्सिको का आदिवासी समूह करता है खेती:-
👉🏻 नोपल कांटेदार पौधा होता है और नागफनी के साथ उगता है। मैक्सिको का एक आदिवासी समुदाय इसकी खेती करता है. इसका फल तो इस्तेमाल होता ही है। इसके कचरे से जैव ईंधन भी बनाया जाता है। यह जलवायु परिवर्तन से भी लड़ता है। वैज्ञानिकों की उम्मीद है कि बड़े पैमाने पर खेती से जलवायु पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा। इसकी अहमियत आप इस बात से समझ सकते हैं कि इसके प्रतीक को मैक्सिको के राष्ट्रीय ध्वज में जगह दिया गया है।
कम उपजाऊ जमीन में 400 टन तक होता है उत्पादन:-
👉🏻 नागफनी की खेती कनरे वाले भी नोपल की खेती कर रहे हैं। कम उपजाऊं जमीन पर भी नोपल प्रति हेक्टेयर 300 से 400 टन और उपजाऊं भूमि में 1000 टन हो सकता है। पानी की खपत नहीं होने के कारण लागत काफी कम आता है, जिसका सीधा फायदा किसानों को मिलता है। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इसके फल को बेच दिया जाता है और कचरे से जैविक ईंधन बनता है जो मक्के से बने जैविक ईंधन से भी सस्ता होता है।
मैक्सिको में इसकी खेती के पीछे ये तीन बड़े कारण:-
👉🏻 मैक्सिको में इसकी खेती बड़े पैमाने पर हो रही है। विशेषज्ञ बताते हैं कि इसके पीछे तीन प्रमुख कारण हैं। पहला यह कि नोपल की खेती से स्थानीय स्तर पर ही रोजगार मिल जाता है और पलायन नहीं होता। दूसरा आर्थिक कारण है। लागत कम है और कम उपजाऊ जमीन पर भी इसकी खेती काफी लाभप्रद होती है। तीसरा कारण नोपल की खेती का पर्यवारण के लिए काफी लाभकारी होना है।
वैज्ञानिक मान रहे जैविक ईंधन का बड़ा स्रोत:-
👉🏻 नोपल को वैज्ञानिक जैविक ईंधन का एक अच्छा स्रोत मान रहे हैं। कई कंपनियां इस काम में लगी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि नोपल से ईंधन की मांग आसानी से पूरी की जा सकती है। फिलहाल 97 प्रतिशत जैव ईंधन पारंपरिक गन्ना, सोया और मक्के से तैयार होता है। इनकी खेती करने से पानी के संसाधनों पर असर पड़ता है। मैक्सिकन कैक्टस या नोपल के साथ ऐसी कोई बात नहीं है।
👉🏻 इसी से प्रेरणा लेकर अब कॉफी के कचरे से भी तेल बनाने का काम हो रहा है। रिसर्च से पता चला है कि उससे खाद बनाया जा सकता है और यह मशरूम के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है। वैज्ञानिकों की कोशिश है कि जैव ईंधन का इतना उत्पादन कर लिया जाए कि जीवाश्म ईंधन का प्रयोग कम हो जाए। मैक्सिको इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि सिर्फ नोपल से जीवाश्म ईंधन की जरूरतों को खत्म नहीं किया जा सकता है।
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स्रोत:- TV 9 Hindi,
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