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जानिए, फसल को जंगली जानवरों से बचाने के शानदार उपाय!
सलाहकार लेखBizpitaara
जानिए, फसल को जंगली जानवरों से बचाने के शानदार उपाय!
नीलगाय और जंगली जानवरों से फसल कैसे बचाएं:- 👉🏻किसानों की फसल बेमौसमी बारिश, कीट और रोगों के अलावा कभी-कभी बंदर, आवारा पशु, नीलगाय या फिर आवारा पशु /छुट्टा जानवरों की वजह से बर्बाद हो जाती है | 👉🏻आवारा जानवरों की वजह से कई बार किसानों की पूरी फसल बर्बादी हो जाती हैं | इसके लिए किसान कई तरह के उपाय भी अपनाते हैं, लेकिन कभी-कभी वह उपाय पूरी तरह से कारगार साबित नहीं हो पाते हैं | ऐसे में किसानों के लिए“फसल सुरक्षा कवच” एक वरदान साबित हुआ है | ये थोड़ा महंगा विकल्प है | हम बात कर रहे हैं, सोलर फेसिंग सिस्टम की | क्या है सोलर फेंसिंग सिस्टम:- अगर किसान अपने खेत में सोलर फेंसिंग सिस्टम लगाना चाहता है, तो वह अपने ब्लॉक में एसएमएस के पास आवेदन कर सकता है | इसके तहत किसान के खेत में करीब 8 फीट की ऊंचाई वाले जैसे पिल्लर लगेंगे | इन पिल्लरों को स्पेशल तारों से जोड़ा जाएगा, जिनमें सोलर एनर्जी के द्वारा हल्का करंट पैदा होगा. इसमें एक सोलर बैटरी लगेगी, जिससे सोलर फेंसिंग सिस्टम को चलाया जाएगा | अगर कोई भी छुट्टा जानवर इन तारों के आस-पास या इनको छुएगा, तो उसको हल्का झटका लगेगा, जिसके बाद आवारा पशु फसल से दूर भाग जाएगा | बता दें कि इस हाइटेक सिस्टम को कोई व्यक्ति या किसानों का एक ग्रुप भी मिलकर लगावा सकता है | सोलर फैंसिंग सिस्टम आवारा पशुओं को केवल डरा देता है कोई नुकसान नहीं करता | सब्सिडी के लिए कैसे होगा एग्रीमेंट:- 👉🏻सोलर फेंसिंग सिस्टम लगाने के लिए करीब 60 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी | अगर कोई किसान इस सिस्टम को लगवाना चाहता है, तो प्रोजेक्ट का 60 प्रतिशत हिस्सा सरकार द्वारा दिया जाएगा, बाकि 40 प्रतिशत हिस्सा किसान द्वारा होगा | इसके लिए दोनों के बीच एक एग्रीमेंट भी होगा | इसके बाद उस एरिया के लिए अलॉट कंपनी सिस्टम को इंस्टॉल करेगी | इस सिस्टम की मेंटिनेंस भी कंपनी ही देखेगी | सिस्टम को इसे चलाना है, इसकी ट्रेनिंग¨किसान को दी जाएगी | आपको बता दें कि सोलर फेंसिंग सिस्टम को लगाने के लिए करीब 5 एकड़ ज़मीन में 40,000 रुपए की लागत लगती है | बांस और बल्ली का इंतजाम किसान को करना पड़ता है | 👉🏻कृषि विज्ञान केंद्र आजमगढ़ के वरिष्ठ मृदा वैज्ञानिक डॉ़ रणधीर नायक ने बताया कि मुर्गी के 10-12 अंडों और 50 ग्राम वाशिंग पाउडर को 25 लीटर पानी में मिलाकर घोल बनाना पड़ता है। इसके बाद किसान इस मिश्रण को खड़ी फसल के मेड़ों पर छिड़काव कर दें। इसकी गंध से छुट्टा जानवर और नीलगाय खेत में नहीं जाएंगे। उन्होंने बताया कि गर्मी और सर्दी में महीने में एक बार छिड़काव करना चाहिए और बारिश के मौसम में जरूरत के हिसाब से छिड़काव किया जा सकता है। अंडों और डिटर्जेट से बने मिश्रण से एक विशेष गंध निकलती है। नीलगाय और अन्य पशु फसलों से दूर रहते हैं। 👉🏻इसके लिए तीन किलो नीम की खली और तीन किलो ईंटभट्ठे की राख का पाउडर बनाकर प्रति बीघा के हिसाब से छिड़काव करें। नीलगाय खेतों में नहीं आएंगी। इतना ही नहीं, नीम खली और ईंटभट्ठे की राख का छिड़काव करने से फसल को भी फायदा होगा। नीम की खली से कीट और रोगों की लगने की समस्या भी कम हो जाती है। इससे नीलगाय खेत के आसपास भी नहीं आती है। नीम की गंध से जानवर फसलों से दूर रहते हैं, इसका छिड़काव महीने या फिर पंद्रह दिनों में किया जा सकता है। खली से फसलों में अल्प मात्रा में नाइट्रोजन की आपूर्ति होती है और यह फसल में लगने वाले कीट पतंगों से भी फसल को सुरक्षित रखता है। 👉🏻4 लीटर मट्ठे में आधा किलो छिला हुआ लहसुन पीसकर मिलाकर इसमें 500 ग्राम बालू डालें। इस घोल को पांच दिन बाद छिड़काव करें। इसकी गंध से करीब 20 दिन तक नीलगाय खेतों में नहीं आएगी। इसे 15 लीटर पानी के साथ भी प्रयोग किया जा सकता है। 👉🏻 20 लीटर गोमूत्र, 5 किलोग्राम नीम की पत्ती, 2 किग्रा धतूरा, 2 किग्रा मदार की जड़, फल-फूल, 500 ग्राम तंबाकू की पत्ती, 250 ग्राम लहसुन, 150 ग्राम लाल मिर्च पाउडर को एक डिब्बे में भरकर वायुरोधी बनाकर धूप में 40 दिन के लिए रख दें। इसके बाद एक लीटर दवा 80 लीटर पानी में घोलकर फसल पर छिड़काव करने से महीना भर तक नीलगाय फसलों को नुकसान नहीं पहुंचाती है। इससे फसल की कीटों से भी रक्षा होती है। स्रोत:- Bizpitaara, 👉🏻प्रिय किसान भाइयों अपनाएं एग्रोस्टार का बेहतर कृषि ज्ञान और बने एक सफल किसान। यदि दी गई जानकारी आपको उपयोगी लगी, तो इसे लाइक 👍 करें एवं अपने अन्य किसान मित्रों के साथ शेयर करें धन्यवाद!
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