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जानिए, डबल मुनाफा देने वाली उर्वरक-सिंचाई प्रणाली के बारे में!
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जानिए, डबल मुनाफा देने वाली उर्वरक-सिंचाई प्रणाली के बारे में!
👉🏻खेती के लिए पानी और खाद खेती के लिए बहुत जरूरी हैं. सामान्य तौर पर किसान सिंचाई का काम और खाद का छिड़काव अलग-अलग समय पर करते हैं, लेकिन इसका एक और भी तरीका है, जिसमें ये दोनों काम किसान एक साथ कर सकते हैं. इस तकनीक के फायदे भी बहुत हैं और इसे फर्टिगेशन कहा जाता है। 👉🏻फर्टिगेशन अंग्रेजी के दो शब्दों फर्टिलाइजर और इरिगेशन से बना है. हिंदी में इसे उर्वरक-सिंचाई प्रणाली के नाम से जाना जाता है. इस विधि में सिंचाई के साथ उर्वरक और दूसरे पोषक तत्व खेत में दे दिए जाते हैं. टपक और फव्वारा सिंचाई पद्धति को इसके लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है. अगर यह कहा जाए कि टपक सिंचाई विधि इसके लिए सबसे बेहतर है तो गलत नहीं होगा। फर्टिगेशन विधि में सीधे फसल की जड़ में जाती है खाद:- 👉🏻टपक सिंचाई से पानी सीधे पौधों की जड़ में जाता है. ऐसे में फर्टिगेशन प्रणाली में उर्वरक भी सीधे फसल की जड़ में जाएंगे. इस प्रणाली में पानी के साथ-साथ उर्वरकों की बचत हो जाती है. समय और मेहनत की बचत इससे अलग है. विशेषज्ञों का मानना है कि मिट्टी में छिड़कांव विधि से उर्वरक देने पर 30 से 50 फीसदी ही नाइट्रोजन काम में आता है जबकि फर्टिगेशन विधि में 95 फीसदी नाइट्रोजन का उपयोग हो जाता है। 👉🏻वहीं छिड़कांव विधि से पोटैशियम 50 फीसदी ही पौधों के उपयोग में आता है. फर्टिगेशन विधि में 80 प्रतिशत पोटैशियम का उपयोग पौधे कर लेते हैं. फॉस्फोरस का छिड़कांव करने पर पौधों में सिर्फ 20 फीसदी ही खाद पहुंच पाता है जबकि फर्टिगेशन में यह आंकड़ा 45 फीसदी तक पहुंच जाता है. फर्टिगेशन सिस्टम सब्जी के खेतों और फलों के बागों के लिए ज्यादा उपयोगी है। इन बातों का रखना होता है ध्यान:- 👉🏻इस विधि का उपयोग करते समय आपको यह ध्यान में रखना होगा कि खाद पूरी तरह घुलनशील हों. इसके अलावा, फॉस्फोरस के साथ मैग्निशियम और कैल्शियम का उपयोग नहीं करना है. किसानों को फर्टिगेशन के बाद खेत में 5 से 10 मिनट तक साफ पानी चलाना चाहिए. ऐसा करने से बचे हुए उर्वरक घुल जाएंगे। 👉🏻फर्टिगेशन सिस्टम का एक लाभ यह भी है कि इसके उपयोग से उबड़-खाबड़ खेत में भी खाद और पानी फसलों को सामान रूप से मिलते हैं और उर्वरकों की बर्बादी नहीं होती. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि इस विधि में खर-पतवारों को ज्यादा उर्वरक नहीं मिल पाता, इस वजह से उनकी समस्या भी कम हो जाती है। स्रोत:- TV9 Hindi, 👉🏻प्रिय किसान भाइयों अपनाएं एग्रोस्टार का बेहतर कृषि ज्ञान और बने एक सफल किसान। दी गई जानकारी उपयोगी लगी, तो इसे लाइक 👍 करें एवं अपने अन्य किसान मित्रों के साथ शेयर करें धन्यवाद!
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