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जानिए, जुलाई माह में किये जाने वाले कृषि कार्य!
सलाहकार लेखVikaspedia
जानिए, जुलाई माह में किये जाने वाले कृषि कार्य!
👉जुलाई माह ख़रीफ की फसलों के लिए सबसे महत्वपूर्ण महीनों में से एक है। ख़रीफ फसलों में कई मुख्य सब्जियों की खेती भी होती है। सब्ज़ियों की खेती करने वाले किसानों को जुलाई माह के रहते-रहते खेती के इन चरणों को निपटा लेना चाहिए: बैगन, मिर्च, अगेती फूलगोभी की रोपाई का समय हैं। 👉जुलाई माह जिसे आषाढ़-श्रावण भी कहते है, तपती हुई धरती को ठंडा करने के लिए मानसून वर्षा लेकर आता है व मौसम सुहावना बन जाता है । -:इस माह में कृषि सम्बंधित मुख्य बातें:- तीन जरुरी बातें– जल निकास (सफल खरीफ फसल का आधार):- 👉अचानक भारी बरसात होने की संभावना होती है तथा नुकसान से बचने के लिए मक्का, गन्ना, कपास, बाजरा व अन्य फसलों में सिंचाई के लिए बनाई नालियां को जल-निकास के काम में ला सकते है । खेत में पानी जमा होने से फसलों का भारी नुकसान हो सकता है । फालतू पानी को गांव के तालाब में डाल दें तथा जरूरत पड़ने पर सिंचाई के काम में लाएं । जल प्रबंध (अधिक पैदावार का आधार):- 👉धान में रोपाई के बाद हर हफ्ते पुराना पानी खेत से निकालकर ताजा पानी भरे जोकि २ इंच से ज्यादा गहरा न हो । यदि कम पानी उपलब्ध है तो हल्की सिंचाईयां करके खेत को सिर्फ गीला रखें । नत्रजन प्रबंध ( पोषक तत्व का बचाव):- 👉 जुलाई माह में नत्रजन खाद देते समय वर्षा का विशेष ध्यान रखें । जमीन में काफी नमी होनी चाहिए ताकि यूरिया पूरी तरह धुल जाय । परन्तु अधिक नमी या तुरंत बरसात होने की स्थिति में यूरिया तबतक न डालें जबतक मोसम व जमीन में नमी उचित मात्रा में नहीं रह जाती अन्यथा बहुत सी नत्रजन पानी के साथ बह जायेगी । -:क्षेत्रों के अनुरूप करें खेती:- बाजरा:- 👉भारत के उत्तरी क्षेत्रों में वर्षा ऋतु के प्रारंभ होते ही बाजरे की बुवाई कर देते है। बुवाई के लिए जुलाई का दूसरा या तीसरा सप्ताह उत्तम है। मक्का:- 👉यदि मक्का की बुवाई नहीं हो पायी है तो शीघ्र कर लें। बुवाई के 15 दिन बाद पहली निराई कर देनी चाहिए। अरहर:- 👉अरहर की कम समय में पकने वाली किस्मों की बुवाई जुलाई के प्रथम सप्ताह में कर लें। एक हैक्टेयर के लिए १२-१५ किलोग्राम बीज की आवश्यकता पड़ती है। गन्ना:- 👉गन्ने को गिरने से बचाएं तथा खेतों से पानी निकलने की व्यवस्था करें। गन्ने में लगी बेल को काटकर अलग कर देना चाहिए। धान:- 👉एक जगह कम से कम दो या तीन पौधे रोपे जाएँ। उर्वरकों का प्रयोग जून माह में करें। इस माह धान की रोपाई कतारों (18 -20 सेमी की दूरी पर ) में करें। मक्का:- 👉मक्का की फसल से खरपतवार निकालते रहें। अतिरिक्त पौधों की छटाई कर लें। खेत में नमी का ध्यान रखें। सोयाबीन:- 👉खरपतवार निकालते रहें तथा पौधे से पौधे की आपसी दूरी ५-७ सेमी. कर दें। -:मैदानी क्षेत्र (सब्जियों एवं फलों में):- टमाटर:- 👉खेत की तैयारी अच्छी तरह कर लें। ८०किलोग्रम सुपर फास्फेट एवं ८० किलोग्राम पोटाश वाली उर्वरक ज़मीन में लगाएं। बैंगन:- इस माह के प्रथम व द्वितीय सप्ताह से ही रोपाई करें तथा हल्की सिंचाई करें। मिर्च:- 👉फलों की तुडाई कर बाज़ार भेजने की व्यवस्था करें। भिन्डी:- 👉तैयार फलियों को तोड़कर बाज़ार भेजने की व्यवस्था करें। आवश्यकतानुसार निराई-गुडाई करें। जल निकास की उचित व्यवस्था करें। ग्वार:- 👉तैयार फलियों को तोड़कर बाज़ार भेजने की व्यवस्था करें। फलियों को कच्ची अवस्था में तोडा जाए। आम:- 👉नए बाग़ लगाने हेतु रोपाई का कार्य प्रारंभ करें। फलों को तोड़कर बाज़ार भेजें. बाग़ में जल निकास की व्यवस्था करें। केला:- 👉अवांछित पत्तियों को निकाल दें व पेड़ों पर मिट्टी चढ़ा दें। नए बाग़ लगाने हेतु रोपाई का कार्य प्रारंभ करें। अमरुद:- 👉नए बाग़ रोपने का का कार्य करें। लीची:- 👉बाग़ में जल निकास का प्रबंध करें। नए बाग़ रोपने का कार्य करें। स्रोत:- Vikaspedia, 👉 प्रिय किसान भाइयों अपनाएं एग्रोस्टार का बेहतर कृषि ज्ञान और बने एक सफल किसान। दी गई जानकारी उपयोगी लगी, तो इसे लाइक 👍 करें एवं अपने अन्य किसान मित्रों के साथ शेयर करें धन्यवाद!
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