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जमीन नहीं यहां पानी में होती है खेती, है न कमाल की तकनीक!
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जमीन नहीं यहां पानी में होती है खेती, है न कमाल की तकनीक!
👉🏻देश और दुनिया में लोगों के बढ़ते जरूरत और घटते संसाधनों के बीच की कमी को पूरा करने के लिए नये नये तरीके आजमाएं जा रहे हैं। एक्वापोनिक्स भी उन्हीं नयी तकनीकों में से एक है। जो बिल्कुल अलग है। यह भविष्य की खेती का एक नायाब तरीका है। यह एक ऐसी तकनीक है जिसमें सबसे ज्यादा बचत पानी की होती है। इसके अलावा इसमें पूरी तरह से जैविक खेती होती है। महाराष्ट्र के एक इंजीनियर ने एक्वापोनिक्स के जरिये बिजनेस का एक सफल मॉड्ल स्थापित किया है। इसके लिए सबसे पहले समझना होगा कि एक्वापोनिक्स क्या होता है। 👉🏻एक्वापोनिक्स जो नाम के अनुसार ही लग रहा है कि एक्वा मतलब पानी से संबंधित या इससे जुड़ा हुआ कार्य और पोनिक्स मतलब होता है हरी सब्जियां। एक्वापोनिक्स ऐसी तकनीक है जिसमें खेती के लिए मिट्टी की सतह नहीं होती है बल्कि पानी की सतह होती है। सिर्फ एक फ्लोटिंग कार्डबोर्ड की सहारा होता है. जिसमें सब्जियां उगती है। इस तकनीक में सब्जी में कीटनाशक, या कोई खाद देने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। यह खुद पानी से अपने जरुरत के हिसाब से भोजन ले लेता है। इसमें पौधे लगाने के लिए पहले छोटा ट्रे में पौधा तैयार करना पड़ता है इसके बाद इसे तैरते हुए बोर्ड पर रखा जाता है। किस तकनीक का करते हैं इस्तेमाल:- 👉🏻एक्वापोनिक्स तकनीक में मछली और सब्जियों की इंटीग्रेटेड तरीके से खेती की जाती है। खेती के लिए खाद की व्यवस्था मछलियों के वेस्ट से हो जाता है। इस तकनीक में पॉलीहाउस की जरूरत होती है। इसके अलावा दो बड़े गोलाकार टैंक्स होते हैं जहां मछली पालन होता है, प्रत्येक टैंक का पानी बाहर निकलता रहता है और एक दूसरे टैंक में जाता है जहां पर शुद्ध पानी बाहर पाइप मे चला जाता है और फिर जो मछलियों का पानी होता है वो पाइप के जरिये दूसरे टैंक में जाता है जहां पर बोर्ड के उपर सब्जियों के बिचड़े रखे गये थे। इस तरह से पानी जब वहां जाती है सब्जियों के जड़ उस पानी से जरूरी पोषण ले लेते हैं , इसके बाद पानी फिर से मछली वाले टैंक में आ जाता है। एक्वापोनिक्स से खेती के फायदे:- 👉🏻एक्वापोनिक्स में कम जगह में ज्यादा उत्पादन होता है। पानी की खपत की बात करें तो पारंपरिक खेती और ड्रिप के मुकाबले इस तकनीक में 95 फीसदी तक पानी की बचत होती है। इस तकनीक नें सिर्फ जैविक खेती होती है। इसकी फसल में बीमारियां नहीं होती है। हालांकि पूंजी की जरूरत ज्यादा होती है। साथ ही तकनीक का पूरा ध्यान रखना चाहिए। 👉🏻भारत में सबसे बड़े एक्वापोनिक्स फार्म चलाने वाले मयंक गुप्ता पेशे से इंजीनियर है पर अब खेती-बाड़ी कर रहे हैं। कई देशों की अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने यह तकनीक सीखी है और अब महाराष्ट्र से लोगों को छोटे स्तर पर एक्वापोनिक्स में खेती करने के तरीकों के बारे में बताया जाएगा। स्रोत:- TV9 Hindi, 👉🏻प्रिय किसान भाइयों अपनाएं एग्रोस्टार का बेहतर कृषि ज्ञान और बने एक सफल किसान। यदि दी गई जानकारी आपको उपयोगी लगी, तो इसे लाइक 👍 करें एवं अपने अन्य किसान मित्रों के साथ शेयर करें धन्यवाद!
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