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चारा की यह दो किस्में, कम लागत में बेहतर उपज एवं दुग्ध उत्पादन!
🐄आज हम आपको दो खास हरा चारा के बारे में बताने जा रहे हैं, जिससे इस्तेमाल से पशुओं की दुग्ध उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी होगी!
👉हरे चारे की कमी का असर पशुओं के प्रजनन, स्वास्थ्य और दुग्ध उत्पादन क्षमता पर पड़ता है. हरे चारे की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए ही भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर ने किसानों के लिए एक खास घास विकसित की है. इस घास को बाजरा और नेपियर को मिक्स कर तैयार किया है और इसे बाजरा-नेपियार यानी बीएन हाइब्रिड घास का नाम दिया गया है!
आधा लीटर बढ़ गया दूध-
👉किसान बताते हैं कि जिन पशुओं को नियमित तौर पर बीएन घास चारा के रूप में दिया गया, उनके दुग्ध उत्पादन क्षमता में आधे से एक लीटर की वृद्धि दर्ज हुई. बीएन घास को एक बार लगाने के बाद किसान कई बार कटाई कर सकते हैं!
चुकंदर से दूर करिए चारा की कमी-
👉जोधपुर स्थित केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान नई चारा फसल लेकर आया है. संस्थान ने चुकंदर की चारा किस्म को विकसित किया है और इसे बीटा वल्गैरिस नाम दिया गया है. संस्थान के मुताबिक, इस पौधे से 5-6 किलो वजन के कंद पैदा हो जाते हैं. बीटा वल्गैरिस खराब पानी और मिट्टी में भी 200 टन प्रति हेक्टेयर के हिसाब से हरे बायोमास का उत्पादन कर सकती है. समय में भी सिर्फ चार महीने का ही लगता है!
दुग्ध उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी से कमाई भी होगी-
👉किसान बताते हैं कि बायोमास को जब मवेशियों को खिलाया गया तो नतीजे शानदार थे और दूध उत्पादन क्षमता में काफी सुधार देखने को मिला. किसान भाई अपने पशुओं के लिए इसकी बुवाई मध्य अक्टूबर से मध्य नवंबर तक कर सकते हैं. इसे मेड़ों पर बोया जाता है!
स्त्रोत:- टव९
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