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चना की फसल में जड़ गलन (मूल विगलन) रोग का नियंत्रण!
सलाहकार लेखICAR - IIPR
चना की फसल में जड़ गलन (मूल विगलन) रोग का नियंत्रण!
चना की फसल में जड़ गलन (मूल विगलन) रोग का नियंत्रण! 👉किसान भाइयों यह रोग सभी दलहनी फसलों में लगता है। जैसा कि नाम से विदित है इस रोग में संक्रमित पौधे की जड़ें गल/सड़ जाती हैं। इस रोग से ग्रसित पौधे पीले दिखायी पड़ते हैं तथा मुरझा कर मर जाते हैं। लक्षणों के आधार पर उकठा एवं मूल विगलन को पहचाना जा सकता है। संक्रमित पौधे आसानी से उखड़ जाये तो यह मूल विगलन लक्षण हो सकते है। उकठा ग्रसित पौधो में मूल तन्त्र नष्ट नहीं होता इसलिये इन पौधों को बल प्रयोग करके ही उखाड़ा जा सकता है। चने की उन्नत खेती लक्षण:- 👉रोग की प्रारम्भिक अवस्था में पौधों की पत्तियाँ पीली पड़ जाती हैं तथा प्रभावित पौधे धीरे-धीरे सूख जाते हैं। रोगग्रस्त पौधों की शीर्ष् पत्तियां झुक जाती है। 👉मूल विगलन से ग्रसित पौधे सामान्यतः समूहों में दिखते हैं। 👉इसके संक्रमण में जड़ें गल जाती हैं। रोगी पौधों में मूसला जड़ को छोड़कर सभी जड़ें नष्ट हो जाती हैं और मूसला जड़ काली होकर सड़ने लगती हैं एवं आसानी से टूट जाती हैं। जड़ों के दिखाई देने वाले भाग और तनों के आन्तरिक भाग पर छोटे काले रंग की फफूँदी के बीजाणु देखे जा सकते हैं। https://app.emausamhau.com/Admin/textimage/Root%20Rot.png रोग प्रबंधन:- 👉समय से बुवाई व जल्दी पकने वाली प्रजातियों का चयन करने से गर्मी आने से पहले ही फसल पक जायेगी व रोग से बचाव किया जा सकता है। 👉गर्मियों मेंखेत की गहरी जुताई करनी चाहिए। रोग पौधे के अवशेषों को खेत में न रहने दें। 👉क्षेत्र के लिए संस्तुत अवरोधी प्रजातियों का बुवाई के लिए चयन करें। 👉फसल चक्र अपनाएँ। 👉ट्राइकोडर्मा विरडी नामक जैव नियंत्रण की 5 किलोग्राम मात्रा को 2.5 कुंटल गोबर की खाद में मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से बुवाई से पूर्व खेतों में मिला देने से इस रोग के शुरूआती विकास को रोका जा सकता है। चने की खेती में अधिक उत्पादन के लिए बीजोपचार के बाद ही करें बुवाई 👉सिंचाई करने से इस रोग को नियंत्रण किया जा सकता है। 👉केवल कार्बेन्डाजिम या कार्बेन्डाजिम को थिरम के साथ मिलाकर बीज उपचार करना चाहिये कार्बोडाजिम 2 ग्राम प्रति + ट्राइकोडर्मा विरिडी 4 ग्राम प्रति किग्रा की दर से बीज उपचारित करें। खेती तथा खेती सम्बंधित अन्य महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए कृषि ज्ञान को फॉलो करें। फॉलो करने के लिए अभी क्लिक करें। स्रोत:- ICAR - IIPR, प्रिय किसान भाइयों अपनाएं एग्रोस्टार का बेहतर कृषि ज्ञान और बने एक सफल किसान। दी गई जानकारी उपयोगी लगी, तो इसे लाइक 👍 करें एवं अपने अन्य किसान मित्रों के साथ शेयर करें धन्यवाद!
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