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ग्वार में रस चूसक  का प्रकोप !
सलाहकार लेखkrishakjagat
ग्वार में रस चूसक का प्रकोप !
एफिड ( चेपा या माहू ) - पोषक पौधों की जड़ों को छोड़कर शेष सभी भागों का रस चूसकर हानि पहुंचाते हैं । ग्रसित पत्तियां मुड़ जाती है और पौधे कमजोर और रोगिस्ट दिखाई देती हैं । ग्रसित फलियों में कमजोर और सिकुड़े हुए बीज बनते हैं । ग्वार की शीघ्र पकने वाली तथा एफिड रोधी किस्मों का चयन करें । रासायनिक नियंत्रण हेतु, इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल 5 मिली / 15 लीटर में घोल बना कर छिड़काव करें । लीफ हॉपर ( जैसिड ) - ग्रसित पत्तियां किनारों से पीली पडना प्रारंभ होती है तथा बाद में पूरी पत्ती पीली पड़कर सूख जाती है और सिकुड़ कर पीछे की ओर मुड़ जाती है । अधिक प्रकोप से ग्रसित पौंधों की बढ़वार रूक जाती है । यदि एक पत्ती पर एक से अधिक निम्फ हों तो, इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल 5 मिली प्रति 15 ली. पानी की दर से छिड़काव करना हितावह है । सफेद मक्खी - यह रस चूसक कीट है एवं मधु उत्सर्जित करता है जिस पर काली फफूंद विकसित हो जाती है । इस फफूंद के काले धब्बे पत्तियों के निम्न तल पर दिखाई पड़ते हैं । ग्रसित पोधों कि पत्तियां कमजोर और पीली पड़ जाती हैं । पौधे छोटे रह जाते है । फसल पर ट्राइजोफॉस 40 ईसी 2.0 मिली प्रति ली.पानी में घोल बना कर छिड़काव करें ।
स्रोत:- krishakjagat, प्रिय किसान भाइयों दी गई जानकारी उपयोगी लगी, तो इसे लाइक करें एवं अपने अन्य किसान मित्रों के साथ शेयर करें धन्यवाद!
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