गुरु ज्ञानAgrostar
गेहूँ की फसल को रतुआ से बचाएँ!
👉इस रोग कि पहचान यह है कि प्रारम्भ में इस रोग के लक्षण नारंगी रंग के सुई की नोक के बिंदुओं के आकार के
बिना क्रम के पत्तियों की उपरी सतह पर उभरते हैं जो बाद में और घने होकर पूरी पत्ती और पर्ण वृंतों पर फैल
जाते हैं।
👉 रोगी पत्तियां जल्दी सुख जाती है जिससे प्रकाश संश्लेषण में भी कमी होती है और दाना हल्का बनता है।
गर्मी बढऩे पर इन धब्बों का रंग, पत्तियों की निचली सतह पर काला हो जाता है तथा इसके बाद यह रोग आगे
नहीं फैलता है। इस रोग से गेहूं की उपज में 30 प्रतिशत तक की हानि हो सकती है ।
बचाव :-
👉धब्बे दिखाई देने पर 0.1 प्रतिशत प्रोपीकोनेजोल (टिल्ट 25 ईसी) का एक या दो बार पत्तियों पर छिड़काव करें या फिर मैंकोजेब 75 %घटकयुक्त पनाका एम-45 @ 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करे या फिर टेबुकोनाझोल +
ट्राईफ्लोक्सीस्ट्रोबिन घटकयुक्त नेटिवों @ 0.75 ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करे।
👉स्त्रोत:- Agrostar
किसान भाइयों ये जानकारी आपको कैसी लगी? हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं और लाइक एवं शेयर करें धन्यवाद!