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गेंहूं की लागत को कम करें  जीरो टिलेज तकनीक से !
सलाहकार लेखउत्तर प्रदेश कृषि विभाग
गेंहूं की लागत को कम करें जीरो टिलेज तकनीक से !
प्रदेश में जीरो ‘टिलेज’ द्वारा गेहूँ की खेती की उन्नत विधियाँ:- प्रदेश के धान गेहूँ फसल चक्र में विशेषतौर पर जहॉ गेहूँ की बुआई में विलम्ब हो जाता हैं, गेहूँ की खेती जीरो टिलेज विधि द्वारा करना लाभकारी पाया गया है। इस विधि में गेहूँ की बुआई बिना खेत की तैयारी किये एक विशेष मशीन (जीरों टिलेज मशीन) द्वारा की जाती है। लाभ : इस विधि में निम्न लाभ पाए गए है:- >गेहूँ की खेती में लागत की कमी (लगभग 800 रूपया प्रति एकड़)। >गेहूँ की बुआई 7-10 दिन जल्द होने से उपज में वृद्धि। >पौधों की उचित संख्या तथा उर्वरक का श्रेष्ठ प्रयोग सम्भव हो पाता है। >पहली सिंचाई में पानी न लगने के कारण फसल बढ़वार में रूकावट की समस्या नहीं रहती है। >गेहूँ के मुख्य खरपतवार, गेहूंसा के प्रकोप में कमी हो जाती है। >निचली भूमि नहर के किनारे की भूमि एवं ईट भट्ठे की जमीन में इस मशीन समय से बुआई की जा सकती है। विधि : जीरो टिलेज विधि से बुआई करते समय निम्न बातों का ध्यान रखना आवश्यक है:- >बुआई के समय खेत में पर्याप्त नमी होनी चाहिए। यदि आवश्यक हो तो धान काटने के एक सप्ताह पहले सिंचाई कर देनी चाहिए। धान काटने के तुरन्त बाद बोआई करनी चाहिए। >बीज दर 50 किग्रा० प्रति एकड़ रखनी चाहिए। >दानेदार उर्वरक (एन.पी.के.) का प्रयोग करना चाहिए। >पहली सिंचाई, बुआई के 15 दिन बाद करनी चाहिए। >खरपतवारों के नियंत्रण हेतु तृणनाशी रसायनों का प्रयोग करना चाहिए। >भूमि समतल होना चाहिए।
स्रोत:- उत्तर प्रदेश कृषि विभाग , प्रिय किसान भाइयों दी गई जानकारी उपयोगी लगी, तो इसे लाइक करें एवं अपने अन्य किसान मित्रों के साथ शेयर करें धन्यवाद!
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