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गायों और भैंसों के पालन के लिए महत्वपूर्ण विषय
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गायों और भैंसों के पालन के लिए महत्वपूर्ण विषय
भारत एक कृषि प्रधान देश होने के कारण ग्रामीण भागों में गाय भैसों को दूध उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण घटक माना जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्व-रोजगार निर्माण इस व्यवसाय के माध्यम से होता है। इसलिए, यह पशुपालन शासकीय तारीके से करना आर्थिक रूप से लाभदायक होता है।
गाय और भैंसों के चयन और स्वास्थ्य के लक्षण– 1. गाय, भैंसों का चयन करते समय, उनकी जाति की विशेषताओं का , जानवरों के रंग, रूप, शरीर निर्माण और जानवरों की वंशावली देखने की आवश्यकता होती है। 2. अगर जानवरों की खरीदरी पशु पलको द्वारा कि जाये तो उनके पास से जानवरों के रिकार्ड उदाहरण के लिए जन्म,ग्याबन काल, औसत दूध, टीकाकरण की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। 3. जानवर का ग्याबन काल, औसत दूध, दूसरा, तीसरा व्याने के समय उनकी आयु औसत तीन से चार साल तक होना चाहिए। कमर की हड्डी दूर होना चाहिए, ताकि भ्रूण के विकास और प्रसूती अच्छी तरह हो जाती है। 4. गायों और भैंसो को स्वस्थ रहना चाहिए। स्वास्थ्य के पहचान उनके नरम और चमकदार त्वचा, नम, नथना इसे हम देख सकते हैं। आंखें सफेद, पानीदार होनी चाहिए। त्वचा को छूने से त्वचा गर्म और नरम लगना चाहिए। 5. स्वस्थ जानवर हमेशा सतर्क और चतुर दिखता है। 6. स्वस्थ जानवर हमेशा घुमते रहते है। रोगी जानवर एक ही जगह पर मंद रहते है। 7. पशु खरीदने के दौरान थोड़ी दूरी पर चलाके देखना चाहिए। पैरों में या चलने में कुछ दोष हो तो पता चलता है। संतुलित आहार - 1. पशु चारे में हरे चारे, सूखे चारे और पशुखाद्य की मात्रा को शास्त्रीय रूप से तय करना चाहिए। जानवरों के लिए अपने शरीर के वजन का 2.5 से 3 प्रतिशत सूखे आहार की आवश्यकता होती है। 2. प्रत्येक लीटर दूध के लिए पशुओं को 300 से 400 ग्राम पशुखाद्य देना चाहिए। दूध के रूप में मिलने वाली कैल्शियम, फॉस्फोरस की भरपाई करने के लिए, पशुखाद्य के साथ 50 से 100 ग्राम क्षार मिश्रण देना चाहिए। 3. दुधारु गाय भैसों को दिन में 4 से 5 बार चारा डालना चाहिए। आश्रय - 1. भविष्य में बढ़ते जानवरों की संख्या को ध्यान में रखते हुए, एक गौशाला की योजना तैयार करें। हर जानवर के लिए औसत 65 से 75 वर्ग फुट जगह होना चाहिए। 2. गाय भैंसों को व्यायाम के लिए खाली स्थान होना चाहिए। 3. गौशाला में पर्याप्त प्रकाश और मुक्त हवा होनी चाहिए। 4. गौशाला के पास चौखट जाल का उपयोग करके बाड़ करना चाहिए। टीकाकरण- पशु बीमारी से प्रभावित न हो इसलिए जानवरों को समय पर टीकाकरण किया जाना चाहिए। डिप्थीरिया, ब्लैक क्वार्टर, लार, खुरपका - मुँहपका , एंथ्रेक्स, आईबीआर, एन्थ्रेक्स, थायालेरेसीस जैसे रोग का प्रभाव रोका जा सकता है। पशु चिकित्सक सलाह- कोई भी बीमारी का लक्षण या किसी जानवर की असंगत प्रकृति का कोई संकेत दिखाई दे , तो तुरंत पशुचिकित्सक की सलाह लें। संदर्भ- एग्रोवन 16 अक्टूबर 17 एग्रोस्टार द्वारा अनुवादित
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