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गाभिन पशु की देखभाल
पशुपालनपशु विज्ञान केंद्र, एएयू
गाभिन पशु की देखभाल
इसकी देखभाल क्यों? लाभदायक पशुपालन के लिए, यह आवश्यक है कि प्रत्येक गाय और भैंस को हर 13 से 14 महीने में बच्चा दे और स्वस्थ बछड़े पैदा हों। प्रसव के बाद 3 से 4 महीने में पशु को फिर से गर्भकाल में होना आवश्यक है।
गर्भावस्था के अंतिम तीन महीनों में (1) पशु को पानी में ज्यादा समय तैरने नहीं देना चाहिए, पहाड़ी इलाके में ज्यादा गुमे नहीं वो देखना चाहिए, क्योंकि इस स्थिति में गर्भ के ज्यादा हलन चलन से गर्भाशय में बच्चा गुम जाने की सम्भावना बानी रहती हे, जानवर का प्रसव मुश्किल हो सकता हे कई बार पशु की मृत्यु भी हो सकती हे। (२) इस स्थिति में पशु को आफरा आये एसी खुराक नहीं देना चाहिए। (3) यदि प्रसव के समय (प्री-पार्टम प्रोलैप्स) से पहले शरीर का हिस्सा बहार आ जाता है, तो पशु चिकित्सक से उपचार करवाये और सिक्की बांधना चाहिए। (४) अगर आपको मालूम हे की पशु का शरीर का हिस्सा बहार आता हे तो ऐसे पशु को आगे का पैर ढलान में रहे ऐसा इंतज़ाम करना चाहिए। (५) गाभिन पशु के गर्भवस्था के आखरी ३ मास काफी पीड़ादायक होते हे। क्योंकि इस समय में जानवर को अपने और बढ़ते गर्भ का भरण-पोषण करना पड़ता है। तो इस समय के दौरान, पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक भोजन (पशु आहार, हरा-सूखा चारा, क्षारीय मिश्रण) पर्याप्त मात्रा में पशु को देना चाहिए और स्वच्छ आवास व विशेष अनुकूलता की आवश्यकता होती है। स्रोत : पशु विज्ञान केंद्र, एएयू यदि आपको यह जानकारी उपयोगी लगे, तो फोटो के नीचे दिए पीले अंगूठे के निशान पर क्लिक करें और नीचे दिए विकल्पों के माध्यम से अपने सभी किसान मित्रों के साथ साझा करें।
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