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गांव-गांव में बनेंगे कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर, किसानों को मिलेगा फसलों का वाजिब दाम!
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गांव-गांव में बनेंगे कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर, किसानों को मिलेगा फसलों का वाजिब दाम!
👉 खेती-किसानी के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श करने के लिए बुधवार को केंद्रीय कृषि मंत्रालय (Ministry of Agriculture) ने संघ राज्य क्षेत्रों का सम्मेलन आयोजित किया. इसमें कृषि विकास को लेकर विस्तृत चर्चा की गई. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि केंद्र सरकार कृषि क्षेत्र (Agri Sector) के समग्र विकास के लिए प्रतिबद्ध है. एक लाख करोड़ रुपये के एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड से सरकार किसानों के खेतों के पास इंफ्रास्ट्रक्टचर बनाने का काम कर रही है. गांव-गांव और खेतों के पास तक इंफ्रास्ट्रक्चर बन जाने पर किसान अपनी उपज को कुछ समय रोककर बाद में वाजिब दाम पर बेच सकेंगे! 👉 सम्मेलन में जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा, अंडमान-निकोबार के उप राज्यपाल डीके जोशी, लद्दाख के उप राज्यपाल राधाकृष्ण माथुर, केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी एवं शोभा करंदलाजे सहित कई लोग मौजूद रहे. तोमर ने कहा कि कृषि क्षेत्र अर्थव्यवस्था के साथ ही हर दृष्टि से महत्वपूर्ण है. इसीलिए सरकार कृषि को बढ़ावा देने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है. सम्मेलन में कृषि संबंधी केंद्र की योजनाओं की प्रगति संघ राज्य क्षेत्रों के परिप्रेक्ष्य में बताई गई! किसान क्रेडिट कार्ड योजना की तारीफ- 👉 कृषि मंत्री ने कहा कि किसान क्रेडिट कार्ड (KCC-kisan credit card) के तहत किसानों को वित्तीय मदद के लिए प्रधानमंत्री ने इस साल 16.5 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा है. जिसमें से अभी 14 लाख करोड़ रुपये का किसान उपयोग कर रहे हैं. फरवरी 2020 में शुरू किए गए केसीसी अभियान के बाद से साल भर में राज्यों व बैंकों के सहयोग से दो करोड़ से ज्यादा किसानों (Farmers) को लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपये उपलब्ध हुए हैं. तोमर ने कहा कि संघ राज्य क्षेत्र व केंद्र सरकार एक ही परिवार है. वहां योजनाओं का सुचारू संचालन होगा तो सभी राज्यों में भी बेहतर क्रियान्वयन करने में ताकत मिलेगी! किसानों को मिले 1.58 लाख करोड़ रुपये- 👉 प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-Kisan) योजना पारदर्शिता की अनूठी मिसाल है. जिसके तहत 11.37 करोड़ किसानों को 1.58 लाख करोड़ रुपये सीधे उनके बैंक खातों में जमा कराए गए हैं. इसमें कोई भ्रष्टाचार नहीं, न ही अमानत में खयानत, यह बदली हुई व्यवस्था में टेक्नोलॉजी की सहायता से संभव हुआ है. इसके तहत किसानों को सालाना 6-6 हजार रुपये मिल रहे हैं! आयल पाम की खेती के लिए काफी संभावना- 👉 डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन के तहत साढ़े पांच करोड़ किसानों का डाटाबेस तैयार हो चुका है. दिसंबर तक यह आठ करोड़ तक पहुंच जाएगा. संघ राज्य क्षेत्रों से इसमें सहयोग का आग्रह है. कम रकबे में वैश्विक मानकों के अनुरूप महंगी फसलों तथा आयल पाम की खेती के लिए संघ राज्य क्षेत्रों में काफी संभावनाएं हैं. हाल ही में जम्मू-कश्मीर के प्रवास के दौरान भी वहां खेती क्षेत्र में उन्हें काफी उत्साह का वातावरण देखने को मिला है! स्त्रोत:- TV9 👉 प्रिय किसान भाइयों दी गई उपयोगी जानकारी को लाइक 👍 करें एवं अपने अन्य किसान मित्रों के साथ शेयर करें धन्यवाद!
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